सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

कबीर कहते हैं सगुन ब्रह्म का प्रत्येक जीव में वास है कोई सेज़ (शरीर रुपी मंदिर )सूनी नहीं है।अच्छा आचरण कर सबसे मीठा बोल

                घूँघट के पट खोल रे,                 तोहे पिया मिलेंगे ।                 घट घट में  तेरे साईं बसत है,                  कटुक बचन मत बोल रे ।                 धन जोबन का गरब ना कीजे,                 झूठा इन का मोल ।पचरंग है सब झोल।                  जोग जुगत  से रंग महल में,                 पिया पायो अनमोल ।                 सुंन  मंदिर, दियरा बार  के,                 आसन से मत डोल ।                 कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधों,                 अनहद बाजत ढोल । भावसार : जीवात्मा पर मायामोह रूपी  अज्ञान का पर्दा पड़ा हुआ है जो आत्मा को परमात्मा से विलग किये हुए है। ऐसे में बहुरिया (आत्मा )दूल्हा (परमात्मा )से कैसे मिले ?कबीर कहते हैं सगुन ब्रह्म का प्रत्येक जीव में वास है कोई सेज़ (शरीर रुपी मंदिर )सूनी नहीं है।अच्छा आचरण कर सबसे मीठा बोल।  सेमल के बीज की तरह है ये कंचन  और कामिनी। रूप रस स्वाद गंध स्पर्श पांच विकारों वाले शरीर पे क्यों इतराता है सेमल के फूल की तरह इसका अस्तित्व अल्पकालिक है। अभी है अभी नहीं है। इस शरीर रुपी भांडे को निर्मल करने की युक्ति सोच इसी रंगमहल में तेरे पी
हाल की पोस्ट

इस शरीर रुपी भांडे को निर्मल करने की युक्ति सोच इसी रंगमहल में तेरे पी का घर है। मन को संकल्प शून्य कर निर्विकल्प हो जा। मन को अम्न कर

कृपया यहां भी पधारें : (१)https://www.youtube.com/watch?v=ar5lHsWN3Fg (२ ) IN Skip navigation 9+ 0:27  /  28:34 कबीर : घूँघट के पट खोल CEC 535K subscribers Subscribe 37 Share Download 1,127 views Aug 24, 2020 Prof. Vineeta Kumari यह व्याख्यान कबीर : घूँघट के पट खोल के बारे में बात करता है I (२)https://www.youtube.com/watch?v=s29k6SBIMcI (३) IN Skip navigation 9+ 47:17  /  54:14 20, GHUNGHAT KE PAT KHOL, SADGURU ABHILASH SAHEB, PRVACHAN, KABIR ASHRAM ALLAHABAD घूँघट के पट खोल रे, तोहे पिया मिलेंगे । घट घट में  तेरे साईं बसत है, कटुक बचन मत बोल रे । धन जोबन का गरब ना कीजे, झूठा इन का मोल ।पचरंग है सब झोल।  जोग जुगत  से रंग महल में, पिया पायो अनमोल । सुंन  मंदिर, दियरा बार  के, आसन से मत डोल । कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधों, अनहद बाजत ढोल । भावसार : जीवात्मा पर मायामोह रूपी  अज्ञान का पर्दा पड़ा हुआ है जो आत्मा को परमात्मा से विलग किये हुए है। ऐसे में बहुरिया (आत्मा )दूल्हा (परमात्मा )से कैसे मिले ?कबीर कहते हैं सगुन ब्रह्म का प्रत्येक जीव में वास है कोई सेज़ (शरीर रुपी मंदिर )सूनी नहीं है।अ