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मई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मनमोहन -२ : कर्णाटक कथा

मनमोहन -२ :  कर्णाटक कथा  उतना लाचार नहीं है कर -नाटक का मनमोहना-२  जितना की मनमोहना -१ था, तकरीबन -तकरीबन ज़र खरीद गुलाम सा.उसी की सरकार के निर्णय को कांग्रेस के सबसे अल्पबुद्धि राजकुमार ने फाड़ के फैंक दिया था। तब एक शायर ने इस स्थिति पर कहा था : ज़ुल्म की मुझपर इंतिहा कर दे , मुझसा बे -जुबां फिर कोई मिले न मिले।    नाटक तो अब कर्नाटक में शुरू हुआ है।अभी तक विदूषक की ही मंच पे आवाजाही थी।  कुमार -सामी (आसामी नहीं )अपने पिता -श्री  -जी के साथ हुई बदसुलूकी भूले नहीं हैं। गौड़ा -देव-जी  अभी जीवित है। मल्लिका से पाई -पाई का हिसाब लिया जाएगा।  कैसी दया ?दया और मल्लिका ? ये राजनीति की उलटबासी है दोस्तों। मंत्रालय बन ने दो।  

महाठगबंधन का बिकाऊ माल

महाठगबंधन का बिकाऊ माल  दो फिसड्डी छात्र थे परीक्षा में नकल करते पकड़े गए। बरसों ये विश्वविद्यालय में डेरा डाले रहे। आखिर इम्तिहान में धर लिए गए। रस्टीकेट कर दिए गए। दोनों ने मिलकर एक स्कूल खोला और उसके प्राचार्य और उपप्राचार्य बन गए। 'कर -नाटक 'में यही हुआ है। 'नाटक' अभी ज़ारी है। इन पंद्रह दिनों में कुछ भी हो सकता है। 'विषकन्या कांग्रेस' और ' जनता द बल बडगौड़ा' दोनों तरफ के विधायकों  में गहरी चिंता व्याप्त है। हालांकि अमित शाह शांत हैं भारतीय जनता पार्टी सुकून में है। लेकिन विधयाकों का रेवड़ बे -चैन है कहीं फिर हमें नज़रबंद न कर दिया जाए।४८ घंटे बड़ी बे -चैनी में बीते थे।  कुछ राजनीति के धंधेबाज़ों की मांग है हमें एक बार फिर 'सुप्रीम -कोर्ट' को आधी रात गए खुलवाना चाहिए। पहले से ही बे -चैन 'अपेक्स -कोर्ट' राजी हो जाएगा और महाठगबंधन को  बहुमत सिद्ध करने के लिए दिए गए समय को अपनी ही हालिया नज़ीर के मद्दे नज़र घटाकर पुन : ४८ घंटे कर देगा। भारतधर्मी समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विचारक डॉ. वागीश मेहता नन्दलाल ने हमसे एक गैर -औपचारिक बातचीत में उक्

अनशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन

अनशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन "राहुल गांधी लाओ देश बचाओ।" पांच घंटे का अनशन करो और फिर पांच घंटे का अलार्म बजते ही छोले भठूरे अन्य खाद्यों पर टूट पड़ो।अनशन से पहले भी कुछ टूंग लो।  गांधी कुमार उर्फ़ राहुल विन्ची को ये मुगालता है ,राष्ट्र पिता मोहनदास कर्म चंदगाँधी को इन्हीं कथित राहुल गांधी की वजह से जाना जाता है। और पांच घंटे का (अन्+अशन )नाटक  करके उनके-कच्छे का लालरंग देखके  उन को हनुमान भक्त घोषित करने  वाले चाटुकारों से अपनी जय बुलवाकर वे वर्तमान राजनीतिक प्रबंध का स्थान ले लेंगे। जनेऊ दिखलाकर खुद को सुर्जेवालों से सनातन धर्मी घोषित करवा लो। कोई नादानी सी नादानी है। किसी सिब्बल ने इन्हें अनशन का अर्थ नहीं समझाया। क्रान्तिवीरों के १३० दिनी अनशन के बारे में नहीं बतलाया। अनशन एक पावित्र्य लिए रहा है। वर्तमान पीढ़ी जान ले नेहरू के वंशज वर्णसंकर ज़रूर  हैं जिन्होंनें संविधान में होने वाले परिवर्तन की तरह गोत्र बार बार -बार बदला है। गूगल बाबा से पूछ लो पारसियों में कोई गांधी गोत्र नहीं होता। होता तो बचेखुचे पारसियों में कम से कम एक तो और गांधी होता। फ़िरोज़ खान