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Rahul,s Hug and Wink a Mockery of Democracy:अविश्वास प्रस्ताव का शब्दकोशीय मतलब

A lot has been written and debated about the recent no-confidence motion in the Indian Parliament on July 20, 2018. Even more has been discussed about the behavior and antics of Rahul Gandhi. But let us take a step back and understand what exactly transpired on Friday July 20. As per the dictionary, a motion of no-confidence is a statement or vote which states that a person(s) in a position of responsibility is no longer deemed fit to hold that position, perhaps because they are inadequate in some respect, are failing to carry out obligations, or are making decisions that other members feel is detrimental. These are serious charges. As a parliamentary motion, a no-confidence move tells to the head of state that the elected parliament no longer has confidence in (one or more members of) the appointed government. A no-confidence motion is directed against the cabinet and if it is supported by most of the members of the Parliament (Lok Sabha in the case of India), the Government is bou

कांग्रेसी कूकर :मणिशंकर अय्यर और प्रेम

मणि शंकर अय्यर और प्रेम  मणिशंकर अय्यर को प्रेम की बात करने से पहले अपना चेहरा आईने में देखना चाहिए। गौर से देखेंगे तो दो बातें साफ़ गोचर होंगी अहंकार और घृणा उनके चेहरे की सारी पेशियों में व्याप्त है। इसका कारण उनका हिंदुत्व से हिंदुत्व की हर बात से  घृणा करना और दर्शाना है।  राहुल प्रेम की बात करें तो समझ में आता है प्रेम पर आँख मारने पर उनका खानदानी वर्चस्व नेहरू पंथी कांग्रेस के दौर से  चला आया है। संसद में  वे अच्छा मुस्कुराए थे लेकिन आँख मारने की ट्रेनिंग लगता है उन्हें इस अय्यर ने ही दी थी जो राहुल के बचाव में खुलकर उतर  आये हैं उनका मकसद राहुल के बहाने प्रखर राष्ट्रीय भाव और हिंदुत्व के प्रतीक मोदी को कोसना भर रह गया है।  नेहरू कितने उदार थे ये बात न करके हम अय्यर साहब की ही बात करते हैं  जिन्हें हुर्रियत की गोद  बहुत अच्छी लगती है। उनके हृदय में हमारे  क्रान्तिकारियों के भी क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर (वीरसावरकर)के प्रति कितनी घृणा रही आई है इसका प्रमाण है पोर्ट ब्लेयर जेल से वह नामपट्टिका तक हटवा देना है जिस पर इस क्रांतिवीर का नाम लिखा था।  अलबत्ता इस आदमी के  पाकिस

बताते चले जब नेहरू पंथी कांग्रेस के निष्प्रभाव होते चले जाने की कथा लिखी जायेगी तब अय्यर का नाम सबसे ऊपर आएगा दिग्विजय का बाद में

मणि शंकर अय्यर और प्रेम  मणिशंकर अय्यर को प्रेम की बात करने से पहले अपना चेहरा आईने में देखना चाहिए। गौर से देखेंगे तो दो बातें साफ़ गोचर होंगी अहंकार और घृणा उनके चेहरे की सारी पेशियों में व्याप्त है। इसका कारण उनका हिंदुत्व से हिंदुत्व की हर बात से  घृणा करना और दर्शाना है।  राहुल प्रेम की बात करें तो समझ में आता है प्रेम पर आँख मारने पर उनका खानदानी वर्चस्व नेहरू पंथी कांग्रेस के दौर से  चला आया है। संसद में  वे अच्छा मुस्कुराए थे लेकिन आँख मारने की ट्रेनिंग लगता है उन्हें इस अय्यर ने ही दी थी जो राहुल के बचाव में खुलकर उतर  आये हैं उनका मकसद राहुल के बहाने प्रखर राष्ट्रीय भाव और हिंदुत्व के प्रतीक मोदी को कोसना भर रह गया है।  नेहरू कितने उदार थे ये बात न करके हम अय्यर साहब की ही बात करते हैं  जिन्हें हुर्रियत की गोद  बहुत अच्छी लगती है। उनके हृदय में हमारे  क्रान्तिकारियों के भी क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर (वीरसावरकर)के प्रति कितनी घृणा रही आई है इसका प्रमाण है पोर्ट ब्लेयर जेल से वह नामपट्टिका तक हटवा देना है जिस पर इस क्रांतिवीर का नाम लिखा था।  अलबत्ता इस आदमी के  पाकिस

6 Harmful Effects of Drinking Coca Cola (Coke) or Pepsi)(HINDI ,ALONG WITH HI POEM)

पेप्सी बोली सुन कोककोला , भारत का इंसान है भोला। विदेश से मैं आईं हूँ , मौत साथ में लाईं हूँ। लहर नहीं ज़हर हूँ मैं , गुर्दों पर गिरता कहर हूँ मैं। पीएच मान मेरा दो पाइंट सात , गिरें जो मुझमें गल जाएँ दांत। ज़िंक आर्सेनिक लेड हूँ मैं , काटे आँतों को वो ब्लेड हूँ मैं। दूध मुझसे बहुत ,सस्ता है , पीये मुझे जो उसकी हालत खस्ता है। ५४० करोड़ कमाती हूँ , विदेश में ले जाती हूँ। मैं पहुंची हूँ आज वहां पर , पीने को नहीं जल भी जहां पर। महंगा पानी मैं सस्ती हूँ , रहती अपनी मस्ती मैं हूँ। छोड़ नकल अब अक्ल से जियो , ' जो भी पियो भाई सम्भलके पियो। नीम्बू नीर पियो मेरे भैया , छोड़ पेप्सी कोक मेरे भैया। पार लगेगी तुमरी नैया। सबका है यहां कृष्ण खिवैया। यकीन मानिये प्यास शीतल जल से ही बुझती है चीनी भरी सोडा उसे भड़काती है। फिर दिल करता है जल मिल जाए शुद्ध शीतल जल घड़े सुराही का ठंडा पानी।  याद रखिये : (१ )कैफीन ,एसपारटेम ,और परिष्कृत शक्कर (शुगर )की तिकड़ी का डेरा है इन पेयों में ,जो अपेय ही कहे जायेंगे।इनमें से एसपारटेम अनेक रोगों की वजह बनता देखा

Babies sleep better when they begin solid food early, study says

मैया मोरी कबहु बढ़ेगी चोटी , किती बार मोहे दूध पीवत भइ यह अजहुँ है छोटी।  भाव यह नहीं है के दूध पीने से छोटी  ही बढ़ती है दूध पीना बढ़ती उम्र की ज़रूरियात को पूरा करता है। आजकल के बच्चे वैसे ही दूध चोर हैं। उन्हें झांसा तो देना ही पड़ता है बहलाना फुसलाना बहकाना भी।  Maiya kabahu badhegi choti? kiti baar mohi doodh pivat bhayi yah ajahu hai chhoti tu jo  kahati bal ki beni jyu hwaihe lambi moti kadhat guhat nhwawat aunchhati nagin si bhui loti kacho doodh pivavat pachi pachi det na maakhan roti sur shyam chirjiv dau bhaiya hari-haldhar ki  joti .   कन्वेंशनल विज़डम कुछ भी कहे परम्परा भले सही -पहले छः माह तक शिशु को स्तनपान करवाना ही स्वास्थ्यप्रद है लेकिन सेहत का मामला प्रयोगधर्मा होता गया है आज उसी के तहत नूतन अध्ययन माँ की नींद की हिफाज़त के साथ -साथ शिशु के बेहतर स्वास्थ्य की और अग्रसर हैं यहां  एक ऐसे ही अध्ययन के नतीजे प्रस्तुत हैं ,स्तनपान करवाने वाली माताएं नींद पूरी नहीं ले पाती हैं। हर  शिशु की अपनी ज़रूरियात है। स्टॉमक का साइज़ यहां मायने नहीं रखता है: अमरीकी चिकित्सा संघ

वोट बड़ा या देश बड़ा ! मन का प्रश्न कहीं गहरा | देश बचा तो प्यार मिलेगा , ज्यों वर्षा -जल -भीगी जी | धोती चप्पल दीदी जी | |

बस यूं ही आहत मन से भारत धर्मी समाज के प्रमुख डॉ.  नंद लाल मेहता वागीश जी से मन की व्यथा कही थी।"" 'पूजा' को प्रतिबंधित करतीं कोलकाता में दीदी जी ,चप्पल धोती दीदी जी।"" ताकि मोहर्रम का जुलूस शांति से निकल जाए फिर चाहे जो हो सो हो ....और बस वागीश जी ने पूरा इतिहास उड़ेल दिया ,राष्ट्रीय उद्बोधन के संग -संग कर्तव्यबोध से च्युत दिखती दीदी जी को उनका कर्तव्य भी याद करवा दिया बंगला गौरव भी उनका दुर्गेश रूप भी। इस कविता के माध्यम से जो हुंकार बन के उठी है और करुणा से संसिक्त हो प्रार्थना  के स्वरों में ढ़ल गई है :  धोती चप्पल दीदी जी |  ऐसा कर्म नसीबी  जी ||                 (१ ) झांसी झपटी अंग्रेज़न  पर , टूट पड़ी तुम कमरेडन पर |  कमर तोड़ दी उनकी ऐसी , अब तक करते सी सी सी ||  मत भूलो कोलकाता है , भारत गर्व सुहाता है , माँ गौरी और माँ काली , इन के बिन क्या बंगला री |  इनकी आस -निरास करोगी , तुष्टि हेतु घास चरोगी |  काम न आएं चाँद सितारे , सूरज का उपहास करोगी |  राजनीति यह छिछली जी , कुछ तो सोच करो सीधी |  धोती चप्पल दीदी जी ||              (२ ) कोलक