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अगस्त, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Knowledeg in Physics in ancient HIndu world ( IV ,HINDI, CONCLUDING Part )

प्रकाश का वेग आदिनांक बारहा आकलित किया गया है जिनमें लेज़र प्रकाश से की गई गणनाएं भी शामिल हैं देखिये प्राचीन भारत में की गई गणनाएं क्या कहती हैं ? सायणाचार्य की टिपण्णी ( चौदहवीं शती 1400 CE ): तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रम द्वे द्वे च योजने।   एकेन निमिषार्धेन कममाण नमोस्तु ते।|  (इति ) भावार्थ :याद रखने लायक बात है ,आधा निमिष में प्रकाश अपने ही वेग से निर्वात में २,२०२ योजन की दूरी तय करता है।  १/२ निमिष =८/ ७५ सेकिंड  १ योजन =९. ०६ २५ मील  प्रकाश का निर्वात में वेग =२,२०२ योजन /८/७५ सेकिंड                                    =१९९५५. ६२५ मील /८/७५ सेकिंड  उल्लेखित श्लोक के अनुसार प्रकाश का वेग =१ ,८७ ,० ८३ . ९८ ४३ ७५ मील /सेकिंड  आधुनिक आकलनों के अनुसार प्रकाश का वेग =१ ,८६ ,३०० मील /सेकिंड   चुम्बकत्व ,हाड्रोजन पूरित गुब्बारे .. .  रसार्णवः (बारहवीं शती ,12,00 CE ) चुंबकीय गुणधर्मों के बारे में आपने बहुत कुछ बखान किया है।  अगस्त्य संहिता :एक उड़न शील  मशीन  हाड्रोजन से भरे हुए गुबारों गुब्बारों  से संचालित   की चर्चा करती है।   (संपन्न )       

Knowledge in Physics in ancient Hindu world(PART III ,HINDI )

माप -जोख या मापन :सूक्ष्म से स्थूल तक  Measuement (micro to macro )  जालानतर्गते भानौ यत् सूक्ष्मं दृश्यते रज :|  तस्य षष्टितमो भाग : परमाणु : प्रकीर्तित ||   वैशेषेशिक- दर्शन परमाणु का माप निर्धारित करता है। इसके अनुसार यह  सौर प्रकाश आलोकित एवं दृश्यमान सूक्ष्मतम   दृश्य कण का साठवां  भाग है। Vaiseshika Darsana defines "Sixtieth part of the smallest particle seen in sunlight entering (a room )through a window is called paramanu." Length Scale: 8 Paramanu =1 Trasarenu  (लम्बाई के मात्रक ): 8 परमाणु = 1 त्रसरेणु   8 त्रसरेणु = 1  रेणु    8 रेणु =बालाग्र (बाल की नौंक ) 8 बालाग्र= 1 लिख्या (Likhya ) 8 लिख्या =1  यूका (Yuka ) 8 यूका =१ यव(1 Yava ) 8 यव= १ अंगुल (ऊँगली की चौड़ाई /मोटाई के बराबर ) २४ अँगुल = १ हस्त (एक हाथ की लम्बाई तुल्य ) ४ हस्त= १ डंडा  २००० डंडा = १ क्रोस (krosa ) 4 क्रॉस =१ योजन (1 Yojana ) भार का मात्रक (Weight Scale ): मूलभूत (आधारीय )मात्रक यहां रत्ती या रतिका है  Basic unit of weight measurement is Ratika एक 'गुंजा' पादप हो

Knowledge in Physics is older than Classical Physics of Newton (Hindi Part I )

Knowledge in Physics is older than Classical Physics of Newton  न्यूटन  कालीन भौतिकी को प्राचीन भौतिकी (Classical Physics)कहा जाता है।  प्रागैतिहासिक वैदिक साहित्य में भौतिकी के सूत्र यहां वहां बिखरे हुए आपको मिल जाएंगे।  यांत्रिकी के नियम (Laws Of Mechanics ),क्रिया -प्रतिक्रिया (action -reaction )तथा गुरुत्वाकर्षण संबंधी नियमों के अलावा क्वांटम यांत्रिकी की झलक भी यहां मौजूद है।  इसी झलक को देखकर क्वांटम यांत्रिकी के कर्णधार वाइनर हाइजनबर्ग ने कहा था :भारतीय दर्शन पर विमर्श के पश्चात मुझे अब क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांत भूतहा और उतने अजूबे और वायुवीय नहीं ही लगते हैं।  याद रहे इलेक्ट्रॉन के आविष्कार और इसके बाद की भौतिकी को आधुनिक भौतिकी (Modern Physics )की संज्ञा दी गई है।  क्वांटम मैकेनिक्स  का अनिश्चय -वाद ,अनिश्चितता का सिद्धांत (Uncertainty Principal )इसके बाद की खोज रही है।इसके तहत ही ऐसी उद्भावनाएँ प्रकट हुईं हैं :जिन्हें हम द्रव्य की मूलभूत कणिकाएं ,बुनियादी कण माने बैठे थे ,न ही वे बुनियादी हैं न कण। महज तरंगें हैं प्रायिकता (Waves of probability )की।  इन कथित कण

Knowledege in Physics in the ancient Hindu world(PART II ;HINDDI )

'वैशेषिका' और 'न्यायशास्त्र ' ऐसे दो वैदिक ग्रन्थ रहे हैं जिनमें यहां वहां बाकायदा गुरुत्व सम्बन्धी अवधारणाएं मौजूद हैं। कहा गया है 'तरल और ठोस पदार्थों का अपनी मुक्त अवस्था में (ज़मीं पर ) आ  गिरना उनका प्रकृति  प्रदत्त सहज गुण है।' गुरुत्व वस्तु (पिंड body )के अपने आवयविक सूक्ष्मतर हिस्सों के बीच भी कार्य करता है। यहां इशारा साफ़ साफ़ अव -परमाणुविक कणों  के बीच कार्यरत गुरुव बल की ओर  ही है। चाहे वह गुरुत्व बल फिर प्रोटोन और प्रोटोन के बीच हो या न्यूट्रॉन -न्यूट्रॉन और इतर सूक्ष्मतर संरचनाओं के बीच कार्यरत रहता हो।  Variois Concepts from Vaiseshika and Nyaya  Gurutva (gravity )is the cause of falling of liquids and solids.Gravity acts not only on the body but equally on its finer constituents (Nyaya Kandili ) महर्षि  भारद्वाज अपने ग्रंथ 'अंशुबोधिनी ' ,में तीन प्रकार के स्पेट्रम -मापियों का वर्णन करते हैं। यहां प्रकाश  के  दृश्य अंश (visible light )और अदृश्य अंशों परा-बैंगनी (ultraviolet )और अवरक्त अंश (infrared )की चर्चा उपलब्ध है। Wavelength

हिंदुत्व में सेवा भाव की अवधारणा : परहित सरिस धर्म नहीं भाई। परपीड़ा सम नहीं, अधमाई।।

हिंदुत्व में सेवा भाव की अवधारणा  "सर्वे भवन्तु सुखिन : सर्वे भवन्तु निरामया : सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुखभाग्भवेत। " अर्थात सब सुखी हो ,सब आरोग्यवान हों ,सब सुख को पहचान सकें ,कोई भी प्राणि किसी बिध दुखी न हो।  May all be happy ;May all be without disease ; May all see auspicious things ; May none have misery of any sort. सनातन  धर्म (हिंदुत्व ) सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानता है।  परहित सरिस धर्म नहीं भाई।  परपीड़ा सम नहीं, अधमाई।।  सेवा यहां एक सर्व -मान्य सिद्धांत  है।मनुष्य का आचरण मन ,कर्म  ,वचन ऐसा हो जो दूसरे को सुख पहुंचाए। उसकी पीड़ा को किसी बिध कम करे। सेवा सुश्रुषा ही अर्चना है पूजा है: ईश्वर : सर्वभूतानां  हृदेश्यरजुन तिष्ठति।   जो सभी प्राणियों के हृदय प्रदेश में निवास करता है। सृष्टि के कण कण में उसका वास है परिव्याप्त है वही ईश्वर पूरी कायनात में जड़ में चेतन में। इसीलिए प्राणिमात्र की सेवा ईश सेवा ही है।  सेवा के प्रति हमारा नज़रिया (दृष्टि कौण )क्या हो कैसा हो यह महत्वपूर्ण है : तनमनधन सब कुछ अर्पण हो अन्य की सेवा में।  दातव्यमिति यद्दानं दी

न ये दशरथ पुत्र को जानते हैं न दशरथ को और न राम को। मुनि वशिष्ठ जी ने दशरथ के बड़े पुत्र का नाम राम सुझाया था जो इस बात का प्रमाण है के राम ,दसरथ पुत्र राजा राम से पूर्व भी थे।

तीन तलाक की आड़ में मुस्लिम मौतरमाओं का शोषण करने वाले जब यह कहते हैं के राम ने अपनी पत्नी सीता का परित्याग कर दिया था तब ये लोग ये बिलकुल नहीं जानते के राम कौन हैं।  न ये दशरथ पुत्र को जानते हैं न दशरथ को और न राम को। मुनि वशिष्ठ जी ने दशरथ के बड़े पुत्र का नाम राम सुझाया था जो इस बात का प्रमाण है के राम ,दसरथ पुत्र राजा राम से पूर्व भी  थे।  राम का अर्थ है रमैया जो रमा हुआ है ओतप्रोत है इस सृष्टि में पूरी कायनात में करता पुरुख की तरह जो बैठा हुआ है कायनात के ज़र्रे ज़र्रे में हमारे हृदयगह्वर में।  राम ,अल्लाह ,वाह गुरु मज़हब विशेष से ताल्लुक रखने वाले नाम भर नहीं हैं ये भारत की सर्वसमावेशी संस्कृति सूत्रों की मनोरम माला के यकसां मनके हैं।  शिव ने सती  का परित्याग एक और धरातल पर किया था। सती ने सीता का रूप भरके शिव शंकर भोले के गुरु राम की परीक्षा ली थी। बस शिव ने कहा ये तो मेरी माता का रूप भर चुकीं हैं अब मेरे लिए पत्नी रूप में स्वीकार्य कैसे हो।  ये मेरे गुरु का अपमान और अवमानना होगी।  राजा राम प्रजातंत्र के शिखर को छूते  हैं  उनके गुप्तचरों ने उन्हें बतलाया था सीता के बारे में एक

हिंदुत्व में ईश्वर सम्बन्धी अवधारणा :एकं सत् विप्रा : बहुधा वदन्ति (There is one ultimate reality (God ),known by many names -Rig Veda

हिंदुत्व में ईश्वर सम्बन्धी अवधारणा :एकं सत् विप्रा : बहुधा वदन्ति (There is one ultimate reality (God ),known by many names -Rig Veda  बतलाते हुए आगे बढ़ें -हिंदुत्व एक जीवन शैली का नाम है। सनातन धर्मी भारत धर्मी समाज के तमाम लोग हिन्दू कहाते हैं।  ईश्वर की अवधारणा में यहां पूर्ण प्रजातंत्र है। त्रिदेव की अवधारणा के तहत एक ही परमात्मा तीन रूपों में अलग अलग कर्मों का नैमित्तिक कारण माना गया है यही है त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश की अवधारणा।   तैतीस कोटि (कोटि यानी प्रकार )देव हैं यहां। कुलजमा जोड़ ३३। देव का अर्थ गॉड नहीं है। यह अनुवाद की सीमा है। देव का पर्याय परमात्मा नहीं है देव ही है। जैसे  रिलिजन का रिलिजन ,धर्म का धर्म ही  पर्याय है। कोटि का गलत अर्थ करोड़ कर दिया गया है। संस्कृत भाषा का मूल शब्द है कोटि जिसके एकाधिक अर्थ हैं। तैतीस कोटि देवता यहीं से चलन में आया है तैतीस तरह को तैतीस करोड़ कर दिया गया एक अनुवाद के तहत।   One God fulfilling three different roles is often depicted as three in one . One Supreme Reality :Ishwara ,Bhagwan ,Sat-Chit-Anand (absolute existence ,absolut

हिंदुत्व :कुछ मूल भूत अवधारणाएं ( ETERNAL ESSENTIAL HINDUISM ) ,II PART

हिंदुत्व :कुछ मूल भूत अवधारणाएं  ( ETERNAL ESSENTIAL HINDUISM )(Cont... ) PRAYERS FOR THE WELL BEING OF ALL  सबके सुख की कामना ,प्रार्थना करता है हिंदुत्व उस परमप्रभु से : सर्वेपि सुखिन : सन्तु  परमात्मा से प्रार्थना है सब खुश रहें ,आनंद -बदन रहें।  HARMONY AT ALL LEVELS OF EXISTENCE  Perfecting the individual ,then family ,then the universe itself. यानी पहले स्व : का कल्याण हो व्यक्ति अपने निज स्वरूप आत्मन को पहचाने। उसका लक्ष्य क्या है ,समझे तदनुरूप आचरण करे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए।  स्व : की पूर्णता के बाद स्व : के पूर्णकाम आप्तकाम होने के बाद परिवार इस दिशा में अग्रसर हो और अनन्तर सृष्टि को इसी दिशा में ले जाया जाए। SECTS  मुख्या तय चार सम्प्रदाय हैं हिन्दुइस्म के अंतर्गत माने गए हैं : शिव को मान ने वाले 'शैव' ,शक्ति की उपासना अर्चना  करने वाले 'शाक्त ' ,विष्णु उपासक यानी 'वैष्णव सम्प्रदाय'। तथा 'Smartism' यानी पंचदेव पूजक।  Smartism  is a sect of  Hinduism  that allows its followers to worship more than one god, unlike in

हिंदुत्व :कुछ मूल भूत अवधारणाएं ( ETERNAL ESSENTIAL HINDUISM )

हिंदुत्व :कुछ मूल भूत अवधारणाएं  ETERNAL ESSENTIAL HINDUISM  अनुयाइयों ने हिंदुत्व ,हिन्दू धर्म को वास्तव में सनातन  धर्म कहा  है।संख्या बल यानी अनुयाइयों की संख्या के हिसाब से यह विश्व का तीसरा बड़ा धर्म बतलाया गया है। इसका मतलब यह हुआ , विश्व का हर छटा व्यक्ति हिंदुत्व को  मान ने वाला है।   प्रागैतिहासिक समझा गया है  धरती के इस सबसे प्राचीन धर्म को। इसका कोई आदि हाथ नहीं आता। हमेशा रहा है यह।  ETERNAL TRUTH SANATAN DHARMA  मानवकृत पंथ नहीं है हिंदुत्व ,हिन्दू धर्म  वेदों से स्वत :प्रसूत एक धारा का नाम है जो सर्वसमावेशी  सर्वग्राही रही आई है। यह सनातन  धर्म संतों साधुओं के अनुभव में आया। साधना के दौरान यह उनकी अनुभूति का विषय बना। इसके अंतर्गत आप चर्चा करते हैं योग की ,आयुर्वेद ,वास्तु कला ,कर्म ,अहिंसा ,वेदांत जैसी अवधारणाओं की एवं ऐसे ही अन्य  विषयों की। यहां एक ही परमात्मा की अवधरणा है जिसका प्राकट्य अव्यक्त से व्यक्त की ओर  है अनेक रूपों में प्रकट हुआ है । यानी अव्यक्त ही व्यक्त हुआ है। यहां सृष्टि ,सृष्टिकर्ता में अभेदत्व है।  कुम्हार जब  मिट्टी  से घड़ा बनाता है तब घड़

कर्म किये जा फल की चिंता मत कर बंदे

कर्म प्रधान विश्व करि राखा ,जो जस करहि सो तस ही  फल चाखा  कर्म का संस्कृत में शाब्दिक अर्थ है हमारे द्वारा किये गए काम।  The Sanskrit word Karma means "actions" and refers to fundamental eternal( Hindu) principle that one's moral actions have unavoidable and automatic effects on one's fortunes in this life and here after i.e conditions of re -birth in the next . कार्मिक सिद्धांत मूल सनातन सिद्धांत रहा है भारत धर्मी समाज का  जिसके अनुसार हमारे द्वारा  किये अच्छे बुरे कर्म अपना अच्छा या बुरा प्रभाव ज़रूर छोड़ते हैं। ये कर्म हमारे भाग्य का निर्धारण न सिर्फ इस जन्म में बल्कि हमारे शरीर छोड़ने के बाद आगे मिलने वाले जन्मों में भी करते हैं। इनके असर से बचा नहीं जा सकता।  कर्म किसी भाग्य या हाथ की लकीरों का नाम नहीं है हमारे ही पूर्व जन्मों का सहज परिणाम है जो हमें आगे पीछे मिलता रहता है.इसीलिए कहा गया है : कर्म गति टारै  नाहिं  टरै , मुनि वशिष्ठ से पंडित ग्यानी ,   सिधि(सोच ) के लगन धरी । सीता हरन मरन दसरथ को, बन में बिपति परी॥1॥ कहँ वह फन्द कहाँ वह पारिधि, कहँ वह म

पूछा जा सकता है घुसपैठियों के लिए 'खून-खराबे' वाली धमकियां क्यों ? सोनिया बतलाएं क्या वे तीन देवियों का नेतृत्व करेंगी NRC मुद्दे पर रक्तपात का जिस पर विमर्श के लिए ममता उनसे मिलीं हैं

NRC मुद्दे को उछालते हुए दलित क्वीन  More मायावती ने एक बयान में कहा, 'इस अनर्थकारी घटना से देश के लिए ऐसा उन्माद उभरेगा, जिससे निपटना बहुत मुश्किल होगा' नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजंस के मुद्दे पर ममता बनर्जी भी सोनिया गांधी से  मिलीं हैं। ममता बनर्जी एक संविधानिक पद पर रहते हुए भारतीय राष्ट्र की  अस्मिता को धमकाते हुए कह रहीं हैं इस मुद्दे को यदि वापस न लिया गया तो  देश में रक्त पात हो जाएगा।यह उनका मात्र सुझाव या ज़ाहिर की गई आशंका   नहीं है भारतीय प्रजातंत्र को सीधे चेतावनी है। इसी आक्रोश की स्थाई मुद्रा में आपने संसद में लेफ्टीयों को फटकारा था  वह  बांग्लादेशियों को पश्चिमी बंगाल से निकालें  . आज स्थिति उनके लिए अब दूसरी  है जबकि वह खुद अखिलेशयादव की तरह गोल टोपी का मतलब समझ गईं।  ये वही निर्मम ममता बनर्जी हैं जिन्हें सनातन धर्म के सनातन प्रतीकों से बे -हद  चिढ़  है जो पश्चिमी बंगाल में 'पूजा ' पर प्रतिबन्ध लगा चुकीं हैं। अब राष्ट्रीय  नागरिकता रजिस्टर NRC के मुद्दे पर ये सोनिया के गले लग चुकीं हैं।  अब गेंद नेहरू पंथी  सोन