Knowledge in Physics is older than Classical Physics of Newton
न्यूटन कालीन भौतिकी को प्राचीन भौतिकी (Classical Physics)कहा जाता है। प्रागैतिहासिक वैदिक साहित्य में भौतिकी के सूत्र यहां वहां बिखरे हुए आपको मिल जाएंगे।
यांत्रिकी के नियम (Laws Of Mechanics ),क्रिया -प्रतिक्रिया (action -reaction )तथा गुरुत्वाकर्षण संबंधी नियमों के अलावा क्वांटम यांत्रिकी की झलक भी यहां मौजूद है।
इसी झलक को देखकर क्वांटम यांत्रिकी के कर्णधार वाइनर हाइजनबर्ग ने कहा था :भारतीय दर्शन पर विमर्श के पश्चात मुझे अब क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांत भूतहा और उतने अजूबे और वायुवीय नहीं ही लगते हैं।
याद रहे इलेक्ट्रॉन के आविष्कार और इसके बाद की भौतिकी को आधुनिक भौतिकी (Modern Physics )की संज्ञा दी गई है। क्वांटम मैकेनिक्स का अनिश्चय -वाद ,अनिश्चितता का सिद्धांत (Uncertainty Principal )इसके बाद की खोज रही है।इसके तहत ही ऐसी उद्भावनाएँ प्रकट हुईं हैं :जिन्हें हम द्रव्य की मूलभूत कणिकाएं ,बुनियादी कण माने बैठे थे ,न ही वे बुनियादी हैं न कण। महज तरंगें हैं प्रायिकता (Waves of probability )की।
इन कथित कणिकाओं का बोध हमारे संज्ञान में नहीं आ सकता न ही हमारे अधुनातन कण टोही और अन्य युक्तियाँ इनका सही सही जायजा ले पा रहीं हैं।
God Particle (एक किस्म का बोसॉन कण जो द्व्यमान युक्त कणिकाओं के भार के लिए उत्तरदाई समझा जाता है )Holy Grail Of Physiccs ही बना हुआ है।
भारतीय दर्शन की ओर लौटते हैं देखतें हैं यहां क्या क्या किस स्वरूप में बिखरा हुआ है।
क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Physics ):
भारतीय मनीषी कणाद तत्वों को स्पर्श्य (palpable )कहते हैं।ऐसे ही सूक्ष्मतर तात्विक अवयव को ,आपने परम -अणु कहा है। परम माने द्रव्य या पदार्थ का वह अंश absolute हिस्सा जिसका और आगे विभाजन करने पर तत्व अपने गुणधर्म खो बैठता है। अणु यहां एटम के लिए आया है।
आपका ग्रन्थ वैशेषिका इसकी चर्चा करता है. ऐसी ही अन्य अवधारणाएं यहां आपको मिलेगीं जिन्हें बूझकर हाइजनबर्ग आनंदाभूति में उतर गए थे।
धर्म विशेष प्रसूदात
कणाद के अनुसार द्रव्य का उसके कणों का यह बुनियादी स्वभाव है वह अपने जैसे अन्य कणों के साथ interact करता है परस्पर अनुक्रिया करते हैं पदार्थ के कण।
पदार्थ कहा ही उसे जाता है जो समान धर्मी पदार्थ को प्रभावित करे उस पर किसी प्रकार का प्रभाव (बल क्षेत्र )डाले। उसे अपने दायरे में ले ले। एक अदृश्य गुरुत्व डोर से बाँध ले।
According to Sage Kanaada matter particles (material particles )interact with other particles due to their inherent nature .
यतेभ्युदयनि :श्रेयससिद्धि :|
पदार्थ के कणों का गुणधर्म है नियति है वह सबसे स्थिर स्थिति हासिल करने के प्रयास में न्यूनतम ऊर्जा हासिल करने को उतावले रहते हैं।
It is the property of the particle to develop and attain the final state i.e the state of minimum free energy .
कार्य -कारण संबंध
कारणाभावात कार्यभाव :|
न तु कार्यभावात् कारणभाव : ||
There is no effect possible without a cause .But absence of effect does not mean the absence of cause .
कारण के बिना कार्य संपन्न नहीं हो सकता। लेकिन कार्य का अभाव कारण की सत्ता का अभाव नहीं है। विज्ञान की भाषा में इसे यूं समझा जा सकता है जिन्हें हम सुपर हेवी एलिमेंट्स कहते हैं। उनके भविष्य में होने ,उनकी इज़ -नैस की प्रागुक्ति की जा चुकी है। वह हैं अभी भी लेकिन अदृश्य ,अव्यक्त रूप में हैं ऊर्जित अवस्था में है। विरलीकृत पदार्थ हैं फिलाल ये अति -भारी कण ।
यही ऊर्जा सांद्र रूप होने पर सुपर हेवी तत्व रूप में प्रकट हो जायेगी ।
अध्यात्म की भाषा में अव्यक्त यानी निर्गुण -निराकार (immpersonal form of God )से ही सगुण -साकार(personal form of God ) विश्व की सृष्टि हुई है। पुन : इसका विलय एक अवधि के बाद उसी अव्यक्त में हो जाएगा। ऊर्जा और द्रव्य का ये बना बनाया खेल है.
(ज़ारी )
न्यूटन कालीन भौतिकी को प्राचीन भौतिकी (Classical Physics)कहा जाता है। प्रागैतिहासिक वैदिक साहित्य में भौतिकी के सूत्र यहां वहां बिखरे हुए आपको मिल जाएंगे।
यांत्रिकी के नियम (Laws Of Mechanics ),क्रिया -प्रतिक्रिया (action -reaction )तथा गुरुत्वाकर्षण संबंधी नियमों के अलावा क्वांटम यांत्रिकी की झलक भी यहां मौजूद है।
इसी झलक को देखकर क्वांटम यांत्रिकी के कर्णधार वाइनर हाइजनबर्ग ने कहा था :भारतीय दर्शन पर विमर्श के पश्चात मुझे अब क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांत भूतहा और उतने अजूबे और वायुवीय नहीं ही लगते हैं।
याद रहे इलेक्ट्रॉन के आविष्कार और इसके बाद की भौतिकी को आधुनिक भौतिकी (Modern Physics )की संज्ञा दी गई है। क्वांटम मैकेनिक्स का अनिश्चय -वाद ,अनिश्चितता का सिद्धांत (Uncertainty Principal )इसके बाद की खोज रही है।इसके तहत ही ऐसी उद्भावनाएँ प्रकट हुईं हैं :जिन्हें हम द्रव्य की मूलभूत कणिकाएं ,बुनियादी कण माने बैठे थे ,न ही वे बुनियादी हैं न कण। महज तरंगें हैं प्रायिकता (Waves of probability )की।
इन कथित कणिकाओं का बोध हमारे संज्ञान में नहीं आ सकता न ही हमारे अधुनातन कण टोही और अन्य युक्तियाँ इनका सही सही जायजा ले पा रहीं हैं।
God Particle (एक किस्म का बोसॉन कण जो द्व्यमान युक्त कणिकाओं के भार के लिए उत्तरदाई समझा जाता है )Holy Grail Of Physiccs ही बना हुआ है।
भारतीय दर्शन की ओर लौटते हैं देखतें हैं यहां क्या क्या किस स्वरूप में बिखरा हुआ है।
क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Physics ):
भारतीय मनीषी कणाद तत्वों को स्पर्श्य (palpable )कहते हैं।ऐसे ही सूक्ष्मतर तात्विक अवयव को ,आपने परम -अणु कहा है। परम माने द्रव्य या पदार्थ का वह अंश absolute हिस्सा जिसका और आगे विभाजन करने पर तत्व अपने गुणधर्म खो बैठता है। अणु यहां एटम के लिए आया है।
आपका ग्रन्थ वैशेषिका इसकी चर्चा करता है. ऐसी ही अन्य अवधारणाएं यहां आपको मिलेगीं जिन्हें बूझकर हाइजनबर्ग आनंदाभूति में उतर गए थे।
धर्म विशेष प्रसूदात
कणाद के अनुसार द्रव्य का उसके कणों का यह बुनियादी स्वभाव है वह अपने जैसे अन्य कणों के साथ interact करता है परस्पर अनुक्रिया करते हैं पदार्थ के कण।
पदार्थ कहा ही उसे जाता है जो समान धर्मी पदार्थ को प्रभावित करे उस पर किसी प्रकार का प्रभाव (बल क्षेत्र )डाले। उसे अपने दायरे में ले ले। एक अदृश्य गुरुत्व डोर से बाँध ले।
According to Sage Kanaada matter particles (material particles )interact with other particles due to their inherent nature .
यतेभ्युदयनि :श्रेयससिद्धि :|
पदार्थ के कणों का गुणधर्म है नियति है वह सबसे स्थिर स्थिति हासिल करने के प्रयास में न्यूनतम ऊर्जा हासिल करने को उतावले रहते हैं।
It is the property of the particle to develop and attain the final state i.e the state of minimum free energy .
कार्य -कारण संबंध
कारणाभावात कार्यभाव :|
न तु कार्यभावात् कारणभाव : ||
There is no effect possible without a cause .But absence of effect does not mean the absence of cause .
कारण के बिना कार्य संपन्न नहीं हो सकता। लेकिन कार्य का अभाव कारण की सत्ता का अभाव नहीं है। विज्ञान की भाषा में इसे यूं समझा जा सकता है जिन्हें हम सुपर हेवी एलिमेंट्स कहते हैं। उनके भविष्य में होने ,उनकी इज़ -नैस की प्रागुक्ति की जा चुकी है। वह हैं अभी भी लेकिन अदृश्य ,अव्यक्त रूप में हैं ऊर्जित अवस्था में है। विरलीकृत पदार्थ हैं फिलाल ये अति -भारी कण ।
यही ऊर्जा सांद्र रूप होने पर सुपर हेवी तत्व रूप में प्रकट हो जायेगी ।
अध्यात्म की भाषा में अव्यक्त यानी निर्गुण -निराकार (immpersonal form of God )से ही सगुण -साकार(personal form of God ) विश्व की सृष्टि हुई है। पुन : इसका विलय एक अवधि के बाद उसी अव्यक्त में हो जाएगा। ऊर्जा और द्रव्य का ये बना बनाया खेल है.
(ज़ारी )
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें