'वैशेषिका' और 'न्यायशास्त्र ' ऐसे दो वैदिक ग्रन्थ रहे हैं जिनमें यहां वहां बाकायदा गुरुत्व सम्बन्धी अवधारणाएं मौजूद हैं। कहा गया है 'तरल और ठोस पदार्थों का अपनी मुक्त अवस्था में (ज़मीं पर ) आ गिरना उनका प्रकृति प्रदत्त सहज गुण है।'
गुरुत्व वस्तु (पिंड body )के अपने आवयविक सूक्ष्मतर हिस्सों के बीच भी कार्य करता है। यहां इशारा साफ़ साफ़ अव -परमाणुविक कणों के बीच कार्यरत गुरुव बल की ओर ही है। चाहे वह गुरुत्व बल फिर प्रोटोन और प्रोटोन के बीच हो या न्यूट्रॉन -न्यूट्रॉन और इतर सूक्ष्मतर संरचनाओं के बीच कार्यरत रहता हो।
Variois Concepts from Vaiseshika and Nyaya
Gurutva (gravity )is the cause of falling of liquids and solids.Gravity acts not only on the body but equally on its finer constituents (Nyaya Kandili )
महर्षि भारद्वाज अपने ग्रंथ 'अंशुबोधिनी ' ,में तीन प्रकार के स्पेट्रम -मापियों का वर्णन करते हैं। यहां प्रकाश के
दृश्य अंश (visible light )और अदृश्य अंशों परा-बैंगनी (ultraviolet )और अवरक्त अंश (infrared )की चर्चा उपलब्ध है।
Wavelength wise distribution of energy is available
Sage Bharadwaja's Spectrometer
Maharshi Bharadwaja studied the nature and properties of ultraviolet ,visible and infrared radiations.
In his book "Anshu Bodhini" he described 5 spectrometers to measure the spectra in three optical regions given as -infrared ,visible ,ultraviolet
Anshu Bodhini :Wavelength (400 BCE )
Besides this the concept of five elements exists in Vedas ,measurement concept too (Pre 2500 BCE -Vedic)
Vaiseshika Darshan gives Concept and structure of matter Basic laws of motion of bodies .Elastic and Gravitational forces (1000 BCE )
Due to elstic forces solid bodies when stressed or sheared recover their original form (Nyaya Kandili )
यहां वस्तुओं पर पड़ने वाले उन विरूपण -कारी बलों (distorting forces ) की चर्चा है जिनके हटा लेने पर वस्तुएं अपनी सामान्य विकृति पूर्व की अवस्था में लौट आतीं हैं।साफ़ साफ़ यह प्रत्या- स्थित बलों की ही चर्चा है।प्रत्यास्थिता की चर्चा है स्ट्रेस और स्ट्रेन की चर्चा है।
Philospher Kanaada gave parmanu theory :
(इसकी चर्चा हम इस पोस्ट के पहले अंश में कर चुकें हैं। आप पढ़ रहें हैं इस पोस्ट का दूसरा अंश। )
Sapekshavad (सापेक्षवाद ),principle of relativity (not same as Einstein's theory of relativity )(600 BCE )
(continued .... )
गुरुत्व वस्तु (पिंड body )के अपने आवयविक सूक्ष्मतर हिस्सों के बीच भी कार्य करता है। यहां इशारा साफ़ साफ़ अव -परमाणुविक कणों के बीच कार्यरत गुरुव बल की ओर ही है। चाहे वह गुरुत्व बल फिर प्रोटोन और प्रोटोन के बीच हो या न्यूट्रॉन -न्यूट्रॉन और इतर सूक्ष्मतर संरचनाओं के बीच कार्यरत रहता हो।
Variois Concepts from Vaiseshika and Nyaya
Gurutva (gravity )is the cause of falling of liquids and solids.Gravity acts not only on the body but equally on its finer constituents (Nyaya Kandili )
महर्षि भारद्वाज अपने ग्रंथ 'अंशुबोधिनी ' ,में तीन प्रकार के स्पेट्रम -मापियों का वर्णन करते हैं। यहां प्रकाश के
दृश्य अंश (visible light )और अदृश्य अंशों परा-बैंगनी (ultraviolet )और अवरक्त अंश (infrared )की चर्चा उपलब्ध है।
Wavelength wise distribution of energy is available
Sage Bharadwaja's Spectrometer
Maharshi Bharadwaja studied the nature and properties of ultraviolet ,visible and infrared radiations.
In his book "Anshu Bodhini" he described 5 spectrometers to measure the spectra in three optical regions given as -infrared ,visible ,ultraviolet
Anshu Bodhini :Wavelength (400 BCE )
Besides this the concept of five elements exists in Vedas ,measurement concept too (Pre 2500 BCE -Vedic)
Vaiseshika Darshan gives Concept and structure of matter Basic laws of motion of bodies .Elastic and Gravitational forces (1000 BCE )
Due to elstic forces solid bodies when stressed or sheared recover their original form (Nyaya Kandili )
यहां वस्तुओं पर पड़ने वाले उन विरूपण -कारी बलों (distorting forces ) की चर्चा है जिनके हटा लेने पर वस्तुएं अपनी सामान्य विकृति पूर्व की अवस्था में लौट आतीं हैं।साफ़ साफ़ यह प्रत्या- स्थित बलों की ही चर्चा है।प्रत्यास्थिता की चर्चा है स्ट्रेस और स्ट्रेन की चर्चा है।
Philospher Kanaada gave parmanu theory :
(इसकी चर्चा हम इस पोस्ट के पहले अंश में कर चुकें हैं। आप पढ़ रहें हैं इस पोस्ट का दूसरा अंश। )
Sapekshavad (सापेक्षवाद ),principle of relativity (not same as Einstein's theory of relativity )(600 BCE )
(continued .... )
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