सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पूछा जा सकता है घुसपैठियों के लिए 'खून-खराबे' वाली धमकियां क्यों ? सोनिया बतलाएं क्या वे तीन देवियों का नेतृत्व करेंगी NRC मुद्दे पर रक्तपात का जिस पर विमर्श के लिए ममता उनसे मिलीं हैं


मायावती ने एक बयान में कहा, 'इस अनर्थकारी घटना से देश के लिए ऐसा

उन्माद उभरेगा, जिससे निपटना बहुत मुश्किल होगा'

नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजंस के मुद्दे पर ममता बनर्जी भी सोनिया गांधी से 

मिलीं हैं। ममता बनर्जी एक संविधानिक पद पर रहते हुए भारतीय राष्ट्र की 

अस्मिता को धमकाते हुए कह रहीं हैं इस मुद्दे को यदि वापस न लिया गया तो 

देश में रक्त पात हो जाएगा।यह उनका मात्र सुझाव या ज़ाहिर की गई आशंका  

नहीं है भारतीय प्रजातंत्र को सीधे चेतावनी है।

इसी आक्रोश की स्थाई मुद्रा में आपने संसद में लेफ्टीयों को फटकारा था  वह 

बांग्लादेशियों को पश्चिमी बंगाल से निकालें  . आज स्थिति उनके लिए अब दूसरी 

है जबकि वह खुद अखिलेशयादव की तरह गोल टोपी का मतलब समझ गईं। 

ये वही निर्मम ममता बनर्जी हैं जिन्हें सनातन धर्म के सनातन प्रतीकों से बे -हद 

चिढ़  है जो पश्चिमी बंगाल में 'पूजा ' पर प्रतिबन्ध लगा चुकीं हैं। अब राष्ट्रीय 

नागरिकता रजिस्टर NRC के मुद्दे पर ये सोनिया के गले लग चुकीं हैं। 


अब गेंद नेहरू पंथी  सोनिया मायनो (मायनो ,गाँधी तो वह कहीं से भी नहीं हैं )के 

पाले में है। वह बतलाएं जिस मुद्दे का उनके महरूम पति अनुमोदन कर चुकें हैं 

१९८६ में  पुन : २००५ में,उस मुद्दे का विरोध करते हुए क्या वह खून खराबे  का 

अब नेतृत्व करेंगी। वह बतलाएं क्या मशविरा हुआ आपसी समझ पैदा हुई उनके 

और निर्मम ममता के बीच NRC मुद्दे पर ? 

यहां देवियाँ एक नहीं तीन- तीन हो गईं हैं जो भारत राष्ट्र की अस्मिता को 

ललकार रहीं हैं। कौन सी देवी इस बारहा दी जा रही धौंस पट्टी का नेतृत्व करेगी 

यह भारत धर्मी समाज के लिए कयास का ही विषय बना हुआ है। 

ममता बनर्जी का चेहरा हमेशा ही आक्रोश की मुद्रा बनाये रहता है NRC मसले 

पर उनका चेहरा आक्रोश की सारी हदें पार कर गया है। 

मायावती ने एक बयान में कहा, 'इस अनर्थकारी घटना से देश के लिए ऐसा

उन्माद उभरेगा, जिससे निपटना बहुत मुश्किल होगा'

पूछा जा सकता है घुसपैठियों के लिए 'खून-खराबे' वाली धमकियां क्यों ?

सोनिया बतलाएं क्या वे तीन देवियों का नेतृत्व करेंगी NRC मुद्दे पर रक्तपात 

का जिस पर विमर्श  के लिए ममता उनसे  मिलीं हैं 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

माता शत्रु : पिता वैरी , येन बालो न पाठित : | न शोभते सभा मध्ये ,हंस मध्ये बको यथा ||

माता शत्रु : पिता वैरी , येन बालो न पाठित : |  न शोभते सभा मध्ये ,हंस मध्ये बको यथा ||   सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.facebook.com/watch/?v=2773670096064129 भारतीय राजनीति के राहु मास्टर राहुल की आज यही नियति है ,उम्र इक्यावन मेधा बालवत। इनका कद ग्रुप आफ ट्वेंटी थ्री (गुलाम नबी आज़ाद साहब, कपिल सिब्बल साहब ,मनीष तिवारी जैसी समृद्ध परम्परा के धनी - मानी व्यक्तियों के बीच आज वैसे ही निस्तेज है जैसे हंसों के बीच बगुला ,कोयलों के बीच कागा ). जैसा बीज वैसा फल आज न इन्हें भारतीय इतिहास की जानकारी है न भूगोल की ,इनकी अम्मा आज भी हिंदी रोमन लिपि में लिखती पढ़ती हैं। देश में २०१९ से एक मत्स्य मंत्रालय भी है इन्हें इसका इल्म  नहीं है ?ये गांधी किस  बिना पे हैं जबकि इनके दादा फ़िरोज़ खान थे -पूछ देखो ,बगलें झाँकने लगेगा यह इक्यावनसाला बालक।   इन्हें अपने  खानदान अपनी ही जड़ों का बोध  नहीं है उत्तर दक्षिण का यह मतिमंद बालक  - विभेद अपनी विभेदन -शीला विखण्डनीय   बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए आज बतला रहा है। यकीन तो करना ही होगा।  ...

FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI )

JAN 12 FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI ) यह आकस्मिक नहीं है गत एक पखवाड़े में अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था एफडीए ने आग्रहपूर्वक इस चेतावनी को दोहराया है ,बलपूर्वक सिफारिश भी की है के आइंदा केवल अठारह साल से ऊपर आयुवर्ग को ही सर्दीजुकाम फ्ल्यू में दी जाने वाली उन दवाओं को दिया जाए नुश्खे में लिखा जाए जो ओपिऑइड्स युक्त हैं। कुछ दवाओं के नाम भी गिनाये हैं जिनमें कोडीन ,हाइड्रोकोडॉन ,ट्रामाडोल आदि शामिल हैं।  किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से  नुकसानी  फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़  सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की  और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग  हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के  जो   कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने। दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्...

सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान। सरगुन निर्गण ते (से )परे तहाँ हमारा ध्यान।

सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान।  सरगुन निर्गण ते (से )परे तहाँ हमारा ध्यान। कबीर कहते हैं हे मनुष्य तेरे बाहर सरगुन(सगुण ) है भीतर निर्गुण है। सब प्राणी सरगुन भगवान् है। चेतना का दीपक अंदर जल रहा है वह निर्गुण है। नर नारायण रूप है इसे देह मत समझ देह तो मिट्टी का खोल है। कबीर जेते  आत्मा  ,तेते शालिग्राम। कबीर कहते हैं अर्थात जितने भी प्राणी है सब भगवान हैं   कबीर कहते हैं सगुन की सेवा करो निर्गुण का ज्ञान प्राप्त करो लेकिन हमारा ध्यान दोनों से परे होना चाहिए सरगुन श्रेष्ठ है या निर्गुण इस फ़िज़ूल बात में नहीं उलझना है।  सारा सृजन मनुष्य करता है ज्ञान विज्ञान का रचयिता वह स्वयं  है। देवताओं को उसने ही बनाया है वेदों की प्रत्येक ऋचा के साथ उसके ऋषि का नाम है छंद का नाम है। किताब ,किसी भी धार्मिक किताब (कतैब )का रचयिता भगवान नहीं है सारे देवता मनुष्य ने बनाये हैं उसी की कल्पना से उद्भूत हुए हैं यह ज्ञान है। इसे ही समझना है।  आज जो देवी देवता पूजे जाते हैं वह वैदिक नहीं हैं। राम ,कृष्ण ,गणेश आदिक इनका कहीं उल्लेख नहीं...