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Knowledeg in Physics in ancient HIndu world ( IV ,HINDI, CONCLUDING Part )

प्रकाश का वेग आदिनांक बारहा आकलित किया गया है जिनमें लेज़र प्रकाश से की गई गणनाएं भी शामिल हैं देखिये प्राचीन भारत में की गई गणनाएं क्या कहती हैं ?

सायणाचार्य की टिपण्णी ( चौदहवीं शती 1400 CE ):

तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्त्रम द्वे द्वे च योजने।  

एकेन निमिषार्धेन कममाण नमोस्तु ते।|  (इति )

भावार्थ :याद रखने लायक बात है ,आधा निमिष में प्रकाश अपने ही वेग से निर्वात में २,२०२ योजन की दूरी तय करता है। 

१/२ निमिष =८/ ७५ सेकिंड 

१ योजन =९. ०६ २५ मील 

प्रकाश का निर्वात में वेग =२,२०२ योजन /८/७५ सेकिंड 
                                  =१९९५५. ६२५ मील /८/७५ सेकिंड 
उल्लेखित श्लोक के अनुसार प्रकाश का वेग =१ ,८७ ,० ८३ . ९८ ४३ ७५ मील /सेकिंड 

आधुनिक आकलनों के अनुसार प्रकाश का वेग =१ ,८६ ,३०० मील /सेकिंड  

चुम्बकत्व ,हाड्रोजन पूरित गुब्बारे .. . 

रसार्णवः (बारहवीं शती ,12,00 CE )

चुंबकीय गुणधर्मों के बारे में आपने बहुत कुछ बखान किया है। 

अगस्त्य संहिता :एक उड़न शील  मशीन  हाड्रोजन से भरे हुए गुबारों गुब्बारों  से संचालित   की चर्चा करती है।  

(संपन्न )


      






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