सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji - Day 2 (Part l)

भगवान् कहते हैं कोई मेरे सम्मुख तो आये मैं उसके इस एक जन्म तो क्या कई जन्मों के पाप नष्ट कर देता हूँ-


अध्यात्म का प्रवाह कोई भेदभाव नहीं करता समदृष्टि ,समभाव ,समत्व लिए 

रहता है सब के लिए - 

मीर  की ग़ज़लें उसी अंदाज़ में हम चूमते हैं ,

सूर के पद  गुनगुनाकर जिस तरह से झूमते हैं। 

मस्जिदों से प्यार उतना ही  हृदय में है हमारे ,

जितने मंदिर मठ,गिरिजाघर  हैं गुरूद्वारे। 

किसी ने पूछा इस संसार में जानने योग्य वस्तु क्या है ?

रामहि केवल प्रेम पियारा ,

जान लेओ जोई जानन हारा। 

हमारा राम तो बड़ा व्यापक राम है -

राम  सच्चिदानंद दिनेशा ,

 नाहिं ताहि मोह निक   लवलेशा 

राम का प्रेम शबरी का प्रेम है ,मर्यादा में रहता वह प्रेम है  जिसमें केवट है ,वनवासी हैं ,जिसमें विकलांग है ,संसार के  उपेक्षित  वे लोग भी हैं जिन्होनें अपने जीवन को सफल बनाया। 

इश्क़  मज़हब हो तो ज़ाहिब ,कुफ्र क्या ,इस्लाम क्या ,

हो कहीं काबा या बुतखाना ,किसी से काम क्या। 

दिल में है काबा मेरे और इश्क है मेरी नमाज़ ,

चाहे जब चाहूँ कर लूँ अदा ,इसमें सुबह क्या और शाम क्या। 

गुजराती शब्द है थाप -जिसका मतलब होता है थकान। कथा का उलटा होता है थाप -कथा सुन ने से थाप मिट जाता है। 

वैष्णव जन तो तेने रे कहिये ,जे पीड़ पराई जाने रे  

वैष्णव उसको कहते हैं जो दूसरों की पीड़ा का अनुभव करके उसको मिटाने की कोशिश करता है।उसके अभाव को मिटाने का प्रयत्न करता हो। 

राम कथाकार आध्यात्मिक चिकित्सक होता है। 

जब भी जीवन में कोई बड़ी उपलब्धि हो कोई आपकी प्रशंशा करे तो सर झुका लेना ,लंकादहन जैसी घटना घट गई समुद्र पार कर जाना  - सब कुछ उसकी कृपा से होता । 

आप किए क्या होय। 

भगावन की कृपा से ही यह हुआ है। 



जब भगवान् को परशुराम अपशब्द बोलने लगते हैं गाली देते हैं तब भी वह विनम्रता पूर्वक कहते हैं -जिनकी इच्छा से सृष्टि में प्रलय लय और विलय होता है उससे -किसने धनुष को तोड़ा -पूछा परशुराम जी ने -

नाथ  शम्भु धनु भंजन हारा ,

होइ कोई एक, दास तुम्हारा।

भूप सहस्र- दस एक ही बारा ,

लगे उठावन ,टरै न टरा। 

इतने बड़े धनुष को भंग करने के बाद भी भगवान् राम कहते हैं आपकी कृपा से आपके बल से ही वह धनुष किसी आपके सेवन ने ही  तोड़ा होगा। जब भी जीवन में किसी बड़ी उपलब्धि पर मन में गर्व आये -श्रीराम की विनम्रता को याद कर लेना। 

गुरु वशिष्ठ कुल पूज्य हमारे ,

इनकी कृपा दनुज रनु (रण ) मारे। 

राम से जब माता कौशल्या पूछती हैं -सोचते हुए मेरे दोनों बालक इतने सुकुमार हैं इन्होनें रावण को कैसे मारा होगा तब राम यही कहते हैं गुरु की कृपा बरसती थी उसका सम्प्रेषण मेरे बाणों तक होता था मेरे बाणों में इतनी शक्ति कहाँ  थीं।ये विनम्रता है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की , दम्भ जिनका स्पर्श ही नहीं कर सकता। 

विजय का श्रेय अपने आराध्य के चरणों में समर्पित करिये -गुरु को समर्पित करिए -मैं मैं मत करिये -मैंने ये किया ....वो किया 

फक्र बकरे ने किया ,मैं के सिवाय कोई नहीं , 

मैं ही मैं हूँ इस जहां में दूसरा और कोई  नहीं ,

हड्डी और  चमड़ा जो  था जिस्म -ए -गार  में ,

कुछ लुटा ,कुछ पिसा ,कुछ बिक गया बाज़ार में ,

कुछ बिक गया बाज़ार में ,

रह गईं आँतें  फ़क़त , मैं ,मैं सुनाने के लिए ,

रह गईं आतें फकत मैं ,मैं सुनाने के लिए ,

तो ले गया लद्दाख उसे ,धुनकी बनाने के लिए ,

जरब (जर्ब )से  सोटे  के जिस दम , तांत घबराने लगी ,

  मैं के बदले तू ही तू की ,सदा आने लगी।

भारतीय संस्कृति कहती है - 

तू को इतना मिटा के तू न रहे  तुझमें   द्वय की बू न  रहे -

 तत् त्वं असि -देखता तब तू 

अपने भीतर देखता तो -अहम ब्रह्मास्मि को देखता और तब अगर 

तू  - विश्व को देखता तो -

सर्वं खल्विदं ब्रह्म -को देखता -यदि तुझमें तू न होता 

राम कथा का सन्देश ?राम कथा सुनने का लाभ क्या है ?

राम ने अपने चरित की सारी लीलाएं लोकव्यवहार ,लोकमान्यताओं के आलोक में ही की हैं। राम का चरित हमारे लिए एक आचार संहिता के समान ही है जिसे सुनने से हमारा उत्थान और उन्नयन  होता है। 

भौतिक पदार्थों के प्रति हमारी आसक्ति जड़ है। यह जड़ता ही अहिल्या है जो हम सबके अंदर हैं।   

सन्दर्भ -सामिग्री :

(१)https://www.youtube.com/watch?v=_1UZvf4IGu8

(२ )

LIVE - Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji - 27th Dec 2015 || Day 2




You are watching Day 1 of Shri Ram Katha by Shri Avdheshanand Giri Ji Maharaj from Indore (Madhya Pradesh) Date: 26th ...


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान। सरगुन निर्गण ते (से )परे तहाँ हमारा ध्यान।

सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान।  सरगुन निर्गण ते (से )परे तहाँ हमारा ध्यान। कबीर कहते हैं हे मनुष्य तेरे बाहर सरगुन(सगुण ) है भीतर निर्गुण है। सब प्राणी सरगुन भगवान् है। चेतना का दीपक अंदर जल रहा है वह निर्गुण है। नर नारायण रूप है इसे देह मत समझ देह तो मिट्टी का खोल है। कबीर जेते  आत्मा  ,तेते शालिग्राम। कबीर कहते हैं अर्थात जितने भी प्राणी है सब भगवान हैं   कबीर कहते हैं सगुन की सेवा करो निर्गुण का ज्ञान प्राप्त करो लेकिन हमारा ध्यान दोनों से परे होना चाहिए सरगुन श्रेष्ठ है या निर्गुण इस फ़िज़ूल बात में नहीं उलझना है।  सारा सृजन मनुष्य करता है ज्ञान विज्ञान का रचयिता वह स्वयं  है। देवताओं को उसने ही बनाया है वेदों की प्रत्येक ऋचा के साथ उसके ऋषि का नाम है छंद का नाम है। किताब ,किसी भी धार्मिक किताब (कतैब )का रचयिता भगवान नहीं है सारे देवता मनुष्य ने बनाये हैं उसी की कल्पना से उद्भूत हुए हैं यह ज्ञान है। इसे ही समझना है।  आज जो देवी देवता पूजे जाते हैं वह वैदिक नहीं हैं। राम ,कृष्ण ,गणेश आदिक इनका कहीं उल्लेख नहीं...

माता शत्रु : पिता वैरी , येन बालो न पाठित : | न शोभते सभा मध्ये ,हंस मध्ये बको यथा ||

माता शत्रु : पिता वैरी , येन बालो न पाठित : |  न शोभते सभा मध्ये ,हंस मध्ये बको यथा ||   सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.facebook.com/watch/?v=2773670096064129 भारतीय राजनीति के राहु मास्टर राहुल की आज यही नियति है ,उम्र इक्यावन मेधा बालवत। इनका कद ग्रुप आफ ट्वेंटी थ्री (गुलाम नबी आज़ाद साहब, कपिल सिब्बल साहब ,मनीष तिवारी जैसी समृद्ध परम्परा के धनी - मानी व्यक्तियों के बीच आज वैसे ही निस्तेज है जैसे हंसों के बीच बगुला ,कोयलों के बीच कागा ). जैसा बीज वैसा फल आज न इन्हें भारतीय इतिहास की जानकारी है न भूगोल की ,इनकी अम्मा आज भी हिंदी रोमन लिपि में लिखती पढ़ती हैं। देश में २०१९ से एक मत्स्य मंत्रालय भी है इन्हें इसका इल्म  नहीं है ?ये गांधी किस  बिना पे हैं जबकि इनके दादा फ़िरोज़ खान थे -पूछ देखो ,बगलें झाँकने लगेगा यह इक्यावनसाला बालक।   इन्हें अपने  खानदान अपनी ही जड़ों का बोध  नहीं है उत्तर दक्षिण का यह मतिमंद बालक  - विभेद अपनी विभेदन -शीला विखण्डनीय   बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए आज बतला रहा है। यकीन तो करना ही होगा।  ...

FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI )

JAN 12 FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI ) यह आकस्मिक नहीं है गत एक पखवाड़े में अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था एफडीए ने आग्रहपूर्वक इस चेतावनी को दोहराया है ,बलपूर्वक सिफारिश भी की है के आइंदा केवल अठारह साल से ऊपर आयुवर्ग को ही सर्दीजुकाम फ्ल्यू में दी जाने वाली उन दवाओं को दिया जाए नुश्खे में लिखा जाए जो ओपिऑइड्स युक्त हैं। कुछ दवाओं के नाम भी गिनाये हैं जिनमें कोडीन ,हाइड्रोकोडॉन ,ट्रामाडोल आदि शामिल हैं।  किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से  नुकसानी  फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़  सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की  और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग  हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के  जो   कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने। दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्...