सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कलि -संतरणोपनिषद -कृष्ण द्वयपायन व्यास

कलिसांतरणोपनिषद -कृष्ण  द्वयपायन व्यास 

मंत्र संख्या एक (श्लोक -एक )TEXT NO 1 

हरि ॐ द्वापरंते नारदो ब्रह्माणं जगाम ,

कथं भगवन गाम पर्यटनकलिम संतरेयमिति 

भाव सार :
द्वापर युग के अंत में सम्पूर्ण विश्व का भ्रमण करते हुए नारद मुनि ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे पूछने लगे -भगवन इस कलिकाल में मैं कैसे भवसागर से पार अच्छी तरह  उतर  सकता हूँ ? 

नारद जी  कृष्ण के सबसे बड़े भक्त हैं तथा ब्रह्माजी के मानस पुत्र हैं जब दुनिया भर में घूम  रहे थे उन्होंने देखा कलियुग में ज्यादातर लोग नास्तिक होते जा रहे हैं। एक पूर्ण परिशुद्ध वैष्णव के रूप में उनके मन में सबके प्रति करुणा जगी और उन्होंने तब  अपने गुरु ब्रह्मा जी से जानना चाहा -इस कलिकाल में वापस गौ  लोक वृन्दावन भगवान् के धाम जाने का क्या उपाय है।अपने निजस्वरूप को जान आत्मा का परमात्मा में लीन  होने का ,उसे जान उसका नित्यदास बनने का क्या उपाय है ?
यहां नारद यह सन्देश भी दे रहे हैं जब जीवन में कोई संशय आ जाए तो गुरु के पास पूरी विनम्रता के साथ  जाकर पूछने में संकोच न करना। गुरु शरीर नहीं है ज्ञान है मार्ग दर्शक है कलिकाल का जीपीएस है।वही शंका का समाधान करेगा। भगवान् के ओर ले जाने वाला मार्ग बतलायेगा।  
मन गढ़ंत किस्सा कहानी कहकर शिष्यों को बरगलाना कपट जाल रचना करके अपने मन की ही कहना शिष्यों को नर्क के रास्ते की ओर ही ले जाता है। 

एवं परम्परा के तहत चली आई गुरु परम्परा में सुपात्र श्रोत्रिय ब्रह्मज्ञानी गुरु ही सच्चा मार्ग दर्शक हो सकता है  ऐसे ही  आध्यात्मिक गुरु के पास अपनी जिज्ञासाएं लेकर जाइये।

कृष्ण द्वय-पायन व्यास मुनि (वेद व्यास )बतलाते हैं किसी भी शुभकार्य का आरम्भ हमें सब कुछ भगवान  को अर्पण करते हुए हरि  ॐ  उच्चचरित कर ही करना चाहिए। हरि ॐ में हरि सगुण ब्रह्म तथा ॐ निर्गुण दोनों को स्मरण में ले आता है। निर्गुण सगुण दो नहीं हैं एक ही हैं। वह एक ही परब्रह्म है। 
शब्दार्थ :

हरि -भगवान् का नाम है (विष्णु रूप कृष्ण ); 

 ॐ -पहली ध्वनि है जिससे इस विश्व की रचना हुई ;

जगाम -गए ,जाना ;

कथं -पूछना ;

भगवन -गुणवतार रूप कृष्ण ;

गम पर्यटन -विश्व भ्रमण ;

कलि -कलियुग ,कलिकाल ,मशीनी युग ;

संतरेयम -तैर कर पार उतरना ;

 इति-कैसे ,किस साधन से ,किस उपाय से ; 

  



टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान। सरगुन निर्गण ते (से )परे तहाँ हमारा ध्यान।

सरगुन की कर सेवा ,निर्गुण का कर ज्ञान।  सरगुन निर्गण ते (से )परे तहाँ हमारा ध्यान। कबीर कहते हैं हे मनुष्य तेरे बाहर सरगुन(सगुण ) है भीतर निर्गुण है। सब प्राणी सरगुन भगवान् है। चेतना का दीपक अंदर जल रहा है वह निर्गुण है। नर नारायण रूप है इसे देह मत समझ देह तो मिट्टी का खोल है। कबीर जेते  आत्मा  ,तेते शालिग्राम। कबीर कहते हैं अर्थात जितने भी प्राणी है सब भगवान हैं   कबीर कहते हैं सगुन की सेवा करो निर्गुण का ज्ञान प्राप्त करो लेकिन हमारा ध्यान दोनों से परे होना चाहिए सरगुन श्रेष्ठ है या निर्गुण इस फ़िज़ूल बात में नहीं उलझना है।  सारा सृजन मनुष्य करता है ज्ञान विज्ञान का रचयिता वह स्वयं  है। देवताओं को उसने ही बनाया है वेदों की प्रत्येक ऋचा के साथ उसके ऋषि का नाम है छंद का नाम है। किताब ,किसी भी धार्मिक किताब (कतैब )का रचयिता भगवान नहीं है सारे देवता मनुष्य ने बनाये हैं उसी की कल्पना से उद्भूत हुए हैं यह ज्ञान है। इसे ही समझना है।  आज जो देवी देवता पूजे जाते हैं वह वैदिक नहीं हैं। राम ,कृष्ण ,गणेश आदिक इनका कहीं उल्लेख नहीं...

माता शत्रु : पिता वैरी , येन बालो न पाठित : | न शोभते सभा मध्ये ,हंस मध्ये बको यथा ||

माता शत्रु : पिता वैरी , येन बालो न पाठित : |  न शोभते सभा मध्ये ,हंस मध्ये बको यथा ||   सन्दर्भ -सामिग्री :https://www.facebook.com/watch/?v=2773670096064129 भारतीय राजनीति के राहु मास्टर राहुल की आज यही नियति है ,उम्र इक्यावन मेधा बालवत। इनका कद ग्रुप आफ ट्वेंटी थ्री (गुलाम नबी आज़ाद साहब, कपिल सिब्बल साहब ,मनीष तिवारी जैसी समृद्ध परम्परा के धनी - मानी व्यक्तियों के बीच आज वैसे ही निस्तेज है जैसे हंसों के बीच बगुला ,कोयलों के बीच कागा ). जैसा बीज वैसा फल आज न इन्हें भारतीय इतिहास की जानकारी है न भूगोल की ,इनकी अम्मा आज भी हिंदी रोमन लिपि में लिखती पढ़ती हैं। देश में २०१९ से एक मत्स्य मंत्रालय भी है इन्हें इसका इल्म  नहीं है ?ये गांधी किस  बिना पे हैं जबकि इनके दादा फ़िरोज़ खान थे -पूछ देखो ,बगलें झाँकने लगेगा यह इक्यावनसाला बालक।   इन्हें अपने  खानदान अपनी ही जड़ों का बोध  नहीं है उत्तर दक्षिण का यह मतिमंद बालक  - विभेद अपनी विभेदन -शीला विखण्डनीय   बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए आज बतला रहा है। यकीन तो करना ही होगा।  ...

FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI )

JAN 12 FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI ) यह आकस्मिक नहीं है गत एक पखवाड़े में अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था एफडीए ने आग्रहपूर्वक इस चेतावनी को दोहराया है ,बलपूर्वक सिफारिश भी की है के आइंदा केवल अठारह साल से ऊपर आयुवर्ग को ही सर्दीजुकाम फ्ल्यू में दी जाने वाली उन दवाओं को दिया जाए नुश्खे में लिखा जाए जो ओपिऑइड्स युक्त हैं। कुछ दवाओं के नाम भी गिनाये हैं जिनमें कोडीन ,हाइड्रोकोडॉन ,ट्रामाडोल आदि शामिल हैं।  किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से  नुकसानी  फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़  सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की  और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग  हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के  जो   कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने। दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्...