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लातों के भूत बातों से नहीं मानते चाहे फिर वे अंदर से देश को तोड़ने वाले हों या बाहर से।

 लातों  के भूत बातों से नहीं मानते चाहे फिर वे अंदर से देश को तोड़ने वाले हों  या  बाहर से। मणिशंकर सोच और प्रजाति  के पढ़े लिखे गंवार इतना भी नहीं जानते। ये मूढ़मति स्मृति भ्रंश भूल गए बाजपेयीजी की  सदाशयता ,लाहौर बस यात्रा ,आगरा संवाद और कारगिल।

ये टुकड़खोर स्वनामधन्य आईएएस खाता इस देश का है ढपली  पाकिस्तान  की बजाता है। ये साहित्य उत्सव  करांची का इस्तेमाल भारत निंदा के लिए करते हुए ज़रा भी नहीं लजाते ,सिद्ध होता है ये पक्के कांग्रेसी सोनिया शुक हैं।

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