उम्र बढ़ने से आदमी का मानसिक विकास होता है लेकिन राहुल उम्र बढ़ने के साथ अपविकास को प्राप्त हो रहे हैं....
उम्र बढ़ने से आदमी का मानसिक विकास होता है लेकिन राहुल उम्र बढ़ने के साथ अपविकास को प्राप्त हो रहे हैं। हास -परिहास व्यंग्य -विनोद के विषय बन रहें हैं।
गूगल बाबा के युग में आम औ ख़ास से पूछ रहें हैं मक्डोनल्ड ,कोको कोला शुरू करने वाले व्यक्तियों का इतिहास। इन्हें ये दिखलाई नहीं दिया धीरूभाई अम्बानी पेट्रोल पम्प पे काम करते थे ,एपीजे अब्दुल कलाम न्यूज़पेपर वेंडर का काम करते थे। सीवीरमण एक साधारण सी प्रयोग शाला में काम करते थे। लालबहादुर शास्त्री नदी पार करके शर्ट उतार कर नदी पार के एक स्कूल में पढ़ने जाते थे। नौका वाले को देने के लिए इनके पास पैसे नहीं होते थे।
ठीक ही कह रहें हैं लोग इन्हें अबुध कुमार ,मंदबुद्धि बाळक जिसका विकास रुक ही नहीं गया है अपविकास हो रहा है।हमारे वर्तमान सर्वप्रिय प्रधानमन्त्री चाय बेचते थे अपने छुटपन में। इनकी माँ आजीविका चलाने के लिए चौका बासन करने घर -घर जातीं थीं। भाई इनके आज भी परचून की दूकान चलाते हैं।
राजनीतिक सूझबूझ क्या कैसी भी सूझ -बूझ नहीं है राहुल में। ढिसलते जा रहे हैं उम्र बढ़ने के साथ। आश्चर्य भी क्या इनकी अम्मा आज तक भारत की भाषा नहीं सीख सकीं। भारत की नागरिकता भी बरसों लटकाएं रहीं। बेहद हिचक थी इन्हें भारत की नागरिकता अपनाने के प्रति। जैसा बीज वैसा फल।
भूगोल और इतिहास क्या अपने कुल का इतिहास भी नहीं पता इस शहजादे को। इसे मतिमंद न कहा जाए तो फिर क्या कहा जाए आप ही बतलाइये लोग ऐसा करके क्या गलती कर रहें हैं ?
https://www.youtube.com/watch?v=-ch9D9X1RoM
https://www.youtube.com/watch?v=vLF_d12y9Ig
गूगल बाबा के युग में आम औ ख़ास से पूछ रहें हैं मक्डोनल्ड ,कोको कोला शुरू करने वाले व्यक्तियों का इतिहास। इन्हें ये दिखलाई नहीं दिया धीरूभाई अम्बानी पेट्रोल पम्प पे काम करते थे ,एपीजे अब्दुल कलाम न्यूज़पेपर वेंडर का काम करते थे। सीवीरमण एक साधारण सी प्रयोग शाला में काम करते थे। लालबहादुर शास्त्री नदी पार करके शर्ट उतार कर नदी पार के एक स्कूल में पढ़ने जाते थे। नौका वाले को देने के लिए इनके पास पैसे नहीं होते थे।
ठीक ही कह रहें हैं लोग इन्हें अबुध कुमार ,मंदबुद्धि बाळक जिसका विकास रुक ही नहीं गया है अपविकास हो रहा है।हमारे वर्तमान सर्वप्रिय प्रधानमन्त्री चाय बेचते थे अपने छुटपन में। इनकी माँ आजीविका चलाने के लिए चौका बासन करने घर -घर जातीं थीं। भाई इनके आज भी परचून की दूकान चलाते हैं।
राजनीतिक सूझबूझ क्या कैसी भी सूझ -बूझ नहीं है राहुल में। ढिसलते जा रहे हैं उम्र बढ़ने के साथ। आश्चर्य भी क्या इनकी अम्मा आज तक भारत की भाषा नहीं सीख सकीं। भारत की नागरिकता भी बरसों लटकाएं रहीं। बेहद हिचक थी इन्हें भारत की नागरिकता अपनाने के प्रति। जैसा बीज वैसा फल।
भूगोल और इतिहास क्या अपने कुल का इतिहास भी नहीं पता इस शहजादे को। इसे मतिमंद न कहा जाए तो फिर क्या कहा जाए आप ही बतलाइये लोग ऐसा करके क्या गलती कर रहें हैं ?
https://www.youtube.com/watch?v=-ch9D9X1RoM
https://www.youtube.com/watch?v=vLF_d12y9Ig
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें