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सितंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

महाभारत का शिशुपाल और राहुल

महाभारत का शिशुपाल और राहुल  राहुल का लगता है ,कोई सही अर्थों में हितेषी ही नहीं है। सब चाहते हैं इनका (भारतीय राजनीति के राहु) का सर फट जाए। पहले इनके हितेषियों ने इनसे कहलवाया -देश का चौकीदार चोर है अब कहलवा  रहें हैं :कमांडर इन थीफ।  कृष्ण ने शिशुपाल को सौ बार माफ़ कर दिया था। वह उनके भांजे थे।बहन को दिए वचन के अनुसार  सौ बार तक माफ़ करने के लिए वह प्रतिबद्ध थे। एक सौ -एक -वीं मर्तबा जब शिशुपाल ने राहुल की तरह फिर बद-खेली की ,बदजुबानी की  कृष्ण के साथ तब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उनका सर उड़ा दिया।  कृष्ण की खामोशी को राहुल तौल नहीं पा रहे हैं। गोयलबल्स भी स्वयं अपने से हार गया था। कमसे कम उनकी माँ को चाहिए वह अपने बेटे को शिशुपाल होने से रोकें ताकि वह कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ -साथ देश के प्रधानमन्त्री भी बन सकें हम भी यही चाहतें हैं।  इस देश का इतिहास  साक्षी है जीत हमेशा से सत्य की ही हुई  है। शिशुपाल हर बार मारा गया है। भगवान इनके  कूकरों को भी  सबुद्धि दे जो नेहरुपंथी अवशेषी  कांग्रेस के चारण भाट और चिर...

मेरो तरीके मज़हब क्या पूछती हो मुन्नी , शियों में मैं शिया हूँ ,सुन्नियों में सुन्नी

मेरो तरीके मज़हब क्या पूछती हो मुन्नी , शियों में मैं शिया हूँ ,सुन्नियों में सुन्नी। इन दिनों भारतीय पत्रकारिता में एक नया शब्द चल पड़ा है CIC यानी कास्टिस्ट इस्लामिक कम्युनल इनका संक्षिप रूप है सीआईसी। इसकी जनक ललिता निझावन हैं। पेशे से आप पत्रकारा हैं। बला का लिखतीं हैं मज़बून कोई भी हो। पत्रकारिता के असल मायने आप समझा रहीं हैं प्रिंट और इलेक्त्रोनी मीडिया के उस अंश को जो सदैव बिकने को आतुर रहता है।  समझ लीजिये हम उनके ही प्रवक्ता हैं। प्रवक्ता बनो तो किसी अच्छी सख्शियत के बनो भाई कांग्रेसी चिरकुट तो बहुत सारे हैं कहीं से एक ईंट दरक जाए वहां से तीस सुरजेवाला और तिवारी मनीष और इनके जैसे निकलेंगे। आज भारत के सत्तापक्ष विरोधियों को भलीभांति इस शब्द सीआईसी से नवाज़ा जा सकता है। यानी पूरा प्रतिपक्ष सीआईसी पर टिका हुआ है इसी का टेका लगाए हुए हैं। लेकिन ये सारे गुण  जिस एक एकल दल में हैं उसका नाम है नेहरुपंथी कांग्रेस। इसके अवशेष राहुल में ,ये तमाम गुण  कूट -कूट कर भरे हैं।गांधी तो मैं इन्हें मानता नहीं। जब चाहे इन्हें जातिवादी होने दिखने की सुविधा प्राप्त है जब च...

आरएसएस की नज़र में भगवा ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज

आरएसएस की नज़र में भगवा ध्वज और राष्ट्रीय ध्वज  भगवा ध्वज राष्ट्रीय स्वयं सेवकों के लिए 'गुरुदक्षिणा' का प्रतीक है।यही गुरुदक्षिणा संघ परिवार का पोषण करती है।  राष्ट्रीय ध्वज का उनके लिए वही महत्व है जो आम भारतीय के लिए हैं। एक मर्तबा जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महाराष्ट्र के जालान में कांग्रेस द्वारा आयोजित उत्स्व में ध्वाजारोहण कर रहे थे झंडा डोरी खींचने के दरमियान अटक गया। देखते ही देखते एक स्वयं  सेवक उस पोल पर चढ़गया तथा बाधा को हटा दिया अब झंडा पूरी शान से लहरा रहा था। भगवा झंडा राहुल गांधी के दिमाग में ज्यादा  लहराता है जो आरएसएस फोबिया से बुरी तरह ग्रस्त हैं। उन्हें तीन दिवसीय विचार गोष्ठी में निमंत्रित किया गया था ताकि राष्ट्रीयता पर वह अपने विचार रख सकें और संघ को भी इस मुद्दे पे सुन सकें। लेकिन वो क्या कहतें हैं ,चोर की दाढ़ी में तिनका। राहुल गांधी इस गोष्ठी में आने का साहस ही न जुटा सके।  कमसे कम युवा अखिलेश यादव ने साफ़ गोई  से काम लेते हुए इस मुद्दे पर साफ कहां - मैं इस संस्था के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता इसीलिए मैं वहां नहीं जा...

सोशल: 'अनचाहे गर्भ के लिए सिर्फ़ पुरुष ही ज़िम्मेदार हैं?'

सोशल: 'अनचाहे गर्भ के लिए सिर्फ़ पुरुष ही ज़िम्मेदार हैं?' इस पोस्ट को शेयर करें Messenger   इस पोस्ट को शेयर करें Twitter   इस पोस्ट को शेयर  इमेज कॉपीरइट THINKSTOCK इस वक़्त पूरी दुनिया में गर्भपात के क़ानून और महिलाओं के अधिकारों को लेकर बहस छिड़ी है. हाल ही में आयरलैंड इसका गवाह रहा है. भारत में भी 'भ्रूण के जीने के अधिकार' को लेकर चर्चा जारी है. इस बीच अमरीका की एक ब्लॉगर ने ट्विटर पर अनचाहे गर्भ और गर्भपात को लेकर ऐसा कुछ लिखा है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. छोड़िए ट्विटर पोस्ट @designmom Gabrielle Blair @designmom I’m a mother of six, and a Mormon. I have a good understanding of arguments surrounding abortion, religious and otherwise. I've been listening to men grandstand about women's reproductive rights, and I'm convinced men actually have zero interest in stopping abortion. Here's why… 6:15 अपराह्न - 13 सित॰ 2018 1.9 लाख 81.2 हज़ार लोग इस बारे में बात कर रहे हैं Twitter ...

RSS प्रमुख बोले, हजारों सालों से प्रताड़ित हैं हिंदू

दूसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) में यहां शामिल 2500 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा पूरे विश्व को एक दल के तौर पर लाने का महत्वपूर्ण मूल्य अपने अहम को नियंत्रित करना और सर्वसम्मति को स्वीकार करना सीखना है. दूसरी विश्व हिंदू कांग्रेस में बोलते भागवत शिकागो में 1893 में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगांठ की स्मृति में दूसरी विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन किया गया है.  अकेले शेर पर जंगली कुत्ते भी कर देते हैं हमले उन्होंने कहा, ‘अगर शेर अकेला हो तो जंगली कुत्ते उस पर हमला कर उसे शिकार बना लेते हैं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए. हम दुनिया को बेहतर बनाना चाहते हैं. हमारी वर्चस्व स्थापित करने की कोई अकांक्षा नहीं. हमारा प्रभाव विजय या उपनिवेशीकरण का नतीजा नहीं है.’  हिंदुत्व किया है भागवत ने कहा कि आदर्शवाद की भावना अच्छी है. उन्होंने खुद को ‘आधुनिकता विरोधी’ न करार देकर ‘भविष्योन्मुखी’ बताया. उन्होंने हिंदू धर्म का वर्णन ‘‘प्राचीन और उत्तर आधुनिक’’ के तौर पर करने की मांग की.  उन्होंने कहा, ‘हिंदू समाज त...

कहते थे मौखिक संचार संचार का तीव्रतम ज़रिया है आज सोशल मीडिया आपकी रेकी करता है। आपके किस्से, आप किस-किससे मिलते हैं उछालता है। पाकिस्तान की किसी अदाकारा को आप दिल दे सकते हैं। अपनी को एल्प्रेक्स देकर सुला सकते हैं। आपका मामूली प्रेम आलमी हो गया है आलमी बोले तो वैश्विक भूमंडलीय ग्लोबल

डिजिटल मीडिया ने और कुछ किया हो या नहीं लेखकीय संभावनाओं को बढ़ा दिया है और मज़ेदार बात ये है बिना  स्याही दवात कलम के लिखा जा रहा है। कागद कारे नहीं करने पड़ते।  बस इतना भर हुआ है, अब नौनिहालों का पालक ये डिजिटल -जगत बन गया है। वास्तविक 'आभासी' और 'आभासी' वास्तविक हो गया है।रोल बदले हैं जीवन के आयाम वही हैं।  जैसे आस्तिक नास्तिक और नास्तिक आस्तिक हो जाए।   सचमुच दूर के ढ़ोल सुहावने होते हैं। भूले बिसरे गीतों की तरह गुज़िस्तान दिनों के लोग फेसबुक पर मिल रहें हैं वे जो याद के पटल से बाहर ही रहे आये थे बरसों बरस।  अतीत की यादों को ताज़ा कर रहा है आभासी जगत। और नौनिहालों की स्किल को पैना भी बना रहा है। सब कुछ  सिखा  रहा है आभासी जगत।   आप मृत्यु के नजदीक पहुँच चुके अपनों को हिन्दुस्तान या अन्यत्र रहते न देख सकें लेकिन वाट्सअप आपको दिखला देगा। आपके अपने वेंटिलेटर पर हैं हज़ारों हज़ार मील दूर आपसे फिर भी इतना करीब।  ऑरकुट चुका नहीं हैं रूप बदल के आता  रहता है।  कहते थे मौखिक ...