तिनका -तिनका जोड़कर गढ़ी गई तृणमूल , तिनके जब उड़ने लगे लगी अधर में झूल। रही अधर में झूल दिख रही है कमज़ोरी , जिसे छुपाने हेतु हो रही सीनाज़ोरी। घर में ही इक वोट रहा न अपना जिनका , बने वही यशवंत सहारे का अब तिनका। (कविवर ओमप्रकाश तिवारी )
तिनका -तिनका जोड़कर गढ़ी गई तृणमूल , तिनके जब उड़ने लगे लगी अधर में झूल। रही अधर में झूल दिख रही है कमज़ोरी , जिसे छुपाने हेतु हो रही सीनाज़ोरी। घर में ही इक वोट रहा न अपना जिनका , बने वही यशवंत सहारे का अब तिनका। (कविवर ओमप्रकाश तिवारी ) जबकि जयंत सिन्हा उद्घोष कर रहे हैं ,खिलेगा कमल बंगाल में ,पिता यशवंत सिन्हा डूबते जहाज में आ बैठे हैं। चलो एक से भले दो ,दीदी का कुनबा तो तेज़ी से बिखर रहा है ,समेटे नहीं सिमट रहा ,लंगड़ दीन बदज़ुबान बदमिजाज़ दीदी ऊपर से धमकी और दे रही है -मेरे पैर ठीक होने दो ,फिर देखूँगी आपके पाँव बंगाल की ज़मीन पर ठीक से चलते हैं या नहीं।क्या देखेगी तू। जब तक तू चलने फिरने लायक होगी उससे पहले ही तेरा टाइटेनिक जल समाधि ले लेगा। दीवार पे लिखी इबादत पढ़। ज्यादा मत ऐंठ। रस्सी जल गई बल नहीं गए। हमेशा कौन रहा है यहां किसकी सियासत रही है दीदी प्रारब्ध तो सबको भुगतना ही पड़ता है और आपकी करनी ,क्रियमाण कर्मों का फल १३० भारतीय जनतापार्टी के वर्कर्स की नृशंश हत्याएं करवाके तू भी चैन से नहीं बैठ पाएगी दीदी। अभी तो तेरी करनी आंशिक रूप से ह...