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छछिया भर छाछ पे नाच

सेस महेस, गनेस, दिनेस, सुरेसहु जाहिं निरन्तर गावैं
जाहि अनादि, अनन्त अखंड, अछेद, अभेद सुवेद बतावैं
नारद से सुक व्यास रटैं, पचि हारे तऊ पुनि पार न पावैं
ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भर छाछ पे नाच नचावैं

भावसार :

शेष यानी शेषनाग, महेश यानी भगवान् शिवजी, दिनेश यानी सूर्यदेव, सुरेश यानी इंद्रदेव यह सब देवता गण जिसकी पूजा करते हैं जिसको अनादि यानी जिसका उद्भव ना अंत पता है, जिसके खंड नही किए जा सकते हैं जिस में छेद ना किए जा सकते हो, भेदना संभव नहीं है ऐसा वेद बताते हैं ।नारद शुक व्यास जैसे ऋषि मुनि इनके बारे में जानने का प्रयत्न करते हैं पर हार जाते हैं । ऐसे श्री कृष्ण जी को अहीरों की लड़कियां (किशोरिया )थोड़ा-थोड़ा सा छाछ का लालच दे दे मक्खन दिखा  दिखाकर नाचने को कहती हैं जी भर नचाती है।  ॐ ॐ ॐअनथक नाचते हैं बालकृष्ण। 

विशेष :आगम निगम वेद जिसके आदि और अंत का बखान नहीं कर सके जिसे अभेद्य ,अच्छेद्य अखंड (अखंडनीय ),अर्थात सदैव पूर्ण बतलाते हैं जिसकी महिमा का बखान करते नहीं बनता। 

नारद शुक व्यास जैसे ऋषि जिनकी अपरम्पारता का पार नहीं पा सके ऐसे बालकृष्ण को अहीरों की छोरियां खूब नचाती हैं बस थोड़ी से छाछ  का लालच दे दे। 

छाछ बोले तो बटरमिल्क मठ्ठा। 

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