इस दीर्घ होते कोरोना काल में सबकी साम्वेदनाएँ सांझी हैं विदूषी स्वाति शर्मा तदानुभूति करवाने में काययाब रहीं हैं। आश्वस्त भी करती है ढांढस भी बंधाती है यह कविता कहती हुई -ये वक्त भी बीत जाएगा चला चल राही हर कदम आगे। पढ़िए स्वाति शर्मा की कविता :
इस दीर्घ होते कोरोना काल में सबकी साम्वेदनाएँ सांझी हैं विदूषी स्वाति शर्मा तदानुभूति करवाने में काययाब रहीं हैं। आश्वस्त भी करती है ढांढस भी बंधाती है यह कविता कहती हुई -ये वक्त भी बीत जाएगा चला चल राही हर कदम आगे। पढ़िए स्वाति शर्मा की कविता :
मौत का मंज़र देखा :ये वक्त भी बीत जाएगा
--------------------स्वाति शर्मा
कोरोना से बाहर आने की छटपटाहट है स्वाति शर्मा की इस कविता में। आप भी आनंद लीजिए।
मौत का मंज़र देखा ,उन हसीं आँखों से ,
देखे थे सपने जिनसे ,कभी आसमाँ में उड़ जाने के।
बिलखते बच्चों को देखा !माँ से बिछुड़ते ,
कोरोना का कहर बरपा न जाने किस ज़माने से।
ख़ौफ़ अपनी ही ज़िंदगी का हुआ ,इस कदर
परिंदे उड़ गए अपने ही आशियाने से।
ग़म न कर ज़िंदगी अभी है बाक़ी ,बचा लो
खुद को किसी अच्छे दवाखाने से।
गुज़र जाएगा वक्त यह भी ,
आएंगे मौसम कभी शामियाने के।
नफ़रतों को छोड़ दो दिल से ,प्यार के दो बोल ही बेहतर,
रूठने मनाने से।
चला -चल राही अपनी ही डगर ,
मिलेगी मंज़िल हर क़दम आगे बढ़ाने से।
बजेंगे ढोल और ताशे फिर से ,कितने गुरदास -मानों के।
स्वाति शर्मा
# ८७० /३१। भूतल ,निकट फरीदाबाद मॉडल स्कूल ,सेक्टर -३१
फरीदाबाद -१२१ ००३
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