घूँघट के पट खोल रे,                 तोहे पिया मिलेंगे ।                 घट घट में  तेरे साईं बसत है,                  कटुक बचन मत बोल रे ।                 धन जोबन का गरब ना कीजे,                 झूठा इन का मोल ।पचरंग है सब झोल।                  जोग जुगत  से रंग महल में,                 पिया पायो अनमोल ।                 सुंन  मंदिर, दियरा बार  के,                 आसन से मत डोल ।                 कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधों,                 अनहद बाजत ढोल । भावसार : जीवात्मा प...
इस शरीर रुपी भांडे को निर्मल करने की युक्ति सोच इसी रंगमहल में तेरे पी का घर है। मन को संकल्प शून्य कर निर्विकल्प हो जा। मन को अम्न कर
कृपया यहां भी पधारें : (१)https://www.youtube.com/watch?v=ar5lHsWN3Fg (२ ) IN Skip navigation 9+ 0:27  /  28:34 कबीर : घूँघट के पट खोल CEC 535K subscribers Subscribe 37 Share Download 1,127 views   Aug 24, 2020   Prof. Vineeta Kumari यह व्याख्यान कबीर : घूँघट के पट खोल के बारे में बात करता है I (२)https://www.youtube.com/watch?v=s29k6SBIMcI (३) IN Skip navigation 9+ 47:17  /  54:14 20, GHUNGHAT KE PAT KHOL, SADGURU ABHILASH SAHEB, PRVACHAN, KABIR ASHRAM ALLAHABAD घूँघट के पट खोल रे, तोहे पिया मिलेंगे । घट घट में  तेरे साईं बसत है, कटुक बचन मत बोल रे । धन जोबन का गरब ना कीजे, झूठा इन का मोल ।पचरंग है सब झोल।  जोग जुगत  से रंग महल में, पिया पायो अनमोल । सुंन  मंदिर, दियरा बार  के, आसन से मत डोल । कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधों, अनहद बाजत ढोल । भावसार : जीवात्मा पर मायामोह रूपी  अज्ञान का पर्दा पड़ा हुआ है जो आत्मा को परमात्मा से विलग किये हुए है। ऐसे में बहुरिया (आत्मा )दूल्हा (परमात्मा )से कैसे मिले ?कबीर कहते हैं सगुन ब्रह्म का प्रत्येक जीव मे...